वेश्या और सेक्स-वर्कर बनाने के सवाल पर नारीवादियों में गहरी द्वैधवृत्ति पायी जाती है। वेश्या को मजदूर की हैसियत देने के ख्याल से ही उनका प्रच्छन्न ‘मार्क्सवादी मर्म’ आहत हो जाता है। यह इस बात का सबूत है कि भारतीय नारीवाद पर मार्क्सवाद की छायाएँ कितनी गहरी और स्थायी किस्म की हैं।
Continue ReadingDebate Online
बहस बदलाव के लिये