वैश्वीकरण के इस दौर में बाजार की मांग पर आदिवासियों की नुमाइश तक हो रही है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के जारवा और आंजे समुदाय को चिड़ियाघर में बंद वन्य जंतुओं की तरह पर्यटन और विस्मय की ‘वस्तु’ बना दिया गया है- उनको केले और बिस्कुट देकर उनके साथ फोटो खिंचवाये जाते हैं। ‘विकास’ और बाजार का अद्भुत समन्वय है यह।
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बहस बदलाव के लिये