प्रायः पढ़ना लिखने से पहले होता है और लिखने की इच्छा भी पढ़ने से ही जागृत होती है। पढ़ना, पढ़ने से प्रेम ही आपको लेखक बनने का सपना दिखाता है। और आपके लेखक बन जाने के बहुत समय बाद भी, दूसरों द्वारा लिखी किताबें–अतीत में पढ़ी गई प्रिय किताबों का पुनर्पठन–लेखन से भटकने का एक जबर्दस्त आकर्षण होता है। भटकाव। सांत्वना। यातना। और हां, प्रेरणा।
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बहस बदलाव के लिये