जो व्यवस्था अपने पितृसत्तात्मक आग्रहों के बावजूद सभी पुरुषों तक को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार दे पाने में अक्षम है, उससे यह अपेक्षा कैसे की जा सकती है कि वह सभी स्त्रियों को यह सब उपलब्ध कराएगी! स्त्रियों की छंटनी रोकना, उन्हें प्रसूति सम्बंधी अवकाश दिलाना इत्यादि एक छोटे वर्ग को ही राहत पहुंचाएगा, क्योंकि स्त्री श्रम का काफी बड़ा हिस्सा तो असंगठित क्षेत्र में लगा हुआ है।
Continue ReadingAuthor: Kingson Singh Patel
नारीवाद के मायने
नारीवाद स्त्रियों के लिये उसी तरह अनुकूल है जिस तरह माक्र्सवाद सर्वहाराओं के लिये लेकिन इसका अर्थ यह कभी नहीं निकालना चाहिए कि स्त्रियां स्वभावतः नारीवादी होती है! ‘नारीवाद सहजात दृष्टि न होकर अर्जित दृष्टि है’ और इसे अर्जित करने के लिए पितृसत्तात्मक विचारधारा से अलग वैकल्पिक दृष्टि विकसित करनी पड़ती है, स्वयं पितृसत्ता द्वारा (स्त्रियों/पुरुषों को) मिलने वाली सुरक्षा और सुविधाओं को त्यागना पड़ता है।
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