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Agara naitika pavitrata ke hathauda़e ko patthara phemkane ka mapadamda hona hai, to kevala ve hi loga yogya haim jinhem pahale hi khamosha kara diya gaya hai| jo loga isa vyavastha se bahara rahate haim; jamgala mem rahane vale aparadhi ghoshita kara die loga, ya ve jinaka virodha presa kabhi kavara nahim karata, ya phira ve shalina visthapita jana jo isa traibyunala se usa traibyunala taka sakshyom ko sunate haim aura sakshya banate, ghumate haim|
Magara litphesta ne hamem vaha! Vaha! Ka mauka to diya hi| opara AIM| unhomne kaha bharata mujhe pasamda aya aura maim bara-bara yaham aumgim| isane hamem gauravanvita kiya|
Isa mamale mem bhi phaumdeshanom aura unake anushamgika samgathanom ka lamba aura saphala itihasa hai| satha ke dashaka mem amerika mem ashvetom ke sivila raitsa muvamemta (nagarika adhikara ya samanata ke amdolana) ki hava nikalana aura use narama karane aura ‘blaika pavara’ (ashveta shakti)ke ‘blaika kaipitalijma’ (ashveta pumjivada) mem yashasvi rupamtarana mem unaki bhumika isa bata ka pramukha udaharana hai|
Je DI raॉkaphelara ke adarshom ke anusara raॉkaphelara phaumdeshana ne martina luthara kimga siniyara (martina luthara kimga juniyara ke pita) ke satha milakara kama kiya| magara studemta naॉnavayalemta koardineshana kameti (esaenasisi ya chatra ahimsaka samanvaya samiti) aura blaika paimtharsa (kale chite) jaise adhika akramaka samgathanom ke ubharane ke bada unaka prabhava kama ho gaya| phorda aura raॉkaphelara phaumdeshana dakhila hue| 1970 mem unhomne ashvetom ke ‘narama’ samgathanom ko dedha़ karoda़ daॉlara die| yaha logom ko anudana, pheloshipa, chatravrrittiyam, padha़AI choda़ chuke logom ke lie rojagara prashikshana karyakrama aura kalom ke vyaparika pratishthanom ke lie prarambhika dhana ke rupa mem mile| damana, apasi jhagada़e aura paisom ke jala ne redikala ashveta amdolana ko dhire-dhire kumda kara diya|
यह मकान है या घर? नए भारत का मंदिर है या उसके प्रेतों का डेरा? जब से मुम्बई में अल्टामॉंन्ट रोड पर रहस्य और बेआवाज सरदर्द फैलाते हुए एंटिला का पदार्पण हुआ है, चीजें पहले जैसी नहीं रहीं। ‘ये रहा’, मेरे जो मित्र मुझे वहां ले गए थे उन्होंने कहा, ‘ हमारे नए शासक को सलाम बजाइये।‘
Yaha makana hai ya ghara? Nae bharata ka mamdira hai ya usake pretom ka dera? Jaba se mumbai mem altamaॉmnta roda para rahasya aura beavaja saradarda phailate hue emtila ka padarpana hua hai, chijem pahale jaisi nahim rahim| ‘ye raha’, mere jo mitra mujhe vaham le gae the unhomne kaha, ‘ hamare nae shasaka ko salama bajaiye|‘
Emtila bharata ke sabase amira adami mukesha ambani ka hai| Aja taka ke sabase mahamge isa ashiyane ke bare mem maimne padha़A tha, sattaisa mamjilem, tina helipaida, nau liphtem, haimgimga gardansa, baॉlarumsa, vedara rumsa, jimnejiyama, Chaha mamjila parkimga, aura Chaha sau naukara-chakara| ada़e khada़e laॉna ki to mujhe apeksha hi nahim thi- 27 mamjila ki umchai taka chadha़ti ghasa ki divara, eka vishala dhatu ke grida se juda़I hui| ghasa ke kucha sukhe tukada़e the; kucha ayatakara chakattiyam tutakara giri hui bhi thim| jahira hai, ‘Trikala dauna’ (samrriddhi ke bumda-bumda risa kara nimna varga taka pahumchane ka siddhamta) ne kama nahim kiya tha|
मगर ‘गश-अप’ (ऊपर की ओर उबल पर पहुंचने का काम) जरूर हुआ है। इसीलिए 120 करोड़ लोगों के देश में, भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियों के पास सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक चौथाई के बराबर संपत्ति है।
Magara ‘gasha-apa’ (Upara ki ora ubala para pahumchane ka kama) jarura hua hai| isilie 120 karoda़ logom ke desha mem, bharata ke 100 sabase amira vyaktiyom ke pasa sakala gharelu utpada (jidipi) ke eka chauthai ke barabara sampatti hai|
राह चलतों में (और न्यूयार्क टाइम्स में भी) चर्चा का विषय है, या कम-अज-कम था, कि इतनी मशक्कत और बागवानी के बाद अंबानी परिवार एंटिला में नहीं रहता। पक्की खबर किसी को नहीं। लोग अब भी भूतों और अपशकुन, वास्तु और फेंगशुई के बारे में कानाफूसियां करते हैं। या शायद ये सब कार्ल मार्क्स की गलती है। उन्होंने कहा था, पूंजीवाद ने ‘अपने जादू से उत्पादन के और विनिमय के ऐसे भीमकाय साधन खड़े कर दिए हैं, कि उसकी हालत उस जादूगर जैसी हो गई है जो उन पाताल की शक्तियों को काबू करने में सक्षम नहीं रहा है जिन्हें उसी ने अपने टोने से बुलाया था। ‘
भारत में, हम 30 करोड़ लोग जो नए, उत्तर-आइएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ‘आर्थिक सुधार’ मध्य वर्ग का हिस्सा हैं उनके लिए – बाजार – पातालवासी आत्माओं, मृत नदियों के सूखे कुओं, गंजे पहाड़ों और निरावृत वनों के कोलाहलकारी पिशाच साथ-साथ रहते हैं: कर्ज में डूबे ढाई लाख किसानों के भूतों जिन्होंने खुद अपनी जान ले ली थी, और वे 80 करोड़ जिन्हें हमारे लिए रास्ता बनाने हेतु और गरीब किया गया और निकाला गया के साथ-साथ रहते हैं जो बीस रुपए प्रति दिन से कम में गुजारा करते हैं।
आजादी के बाद, अस्सी के दशक तक, जन आंदोलन, नक्सलवादियों से लेकर जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन तक, भूमि सुधारों के लिए, सामंती जमींदारों से भूमिहीन किसानों को भूमि के पुनर्वितरण के लिए लड़ रहे थे। आज भूमि और संपत्ति के पुनर्वितरण की कोई भी बात न केवल अलोकतांत्रिक बल्कि पागलपन मानी जाएगी। यहां तक कि सर्वाधिक उग्र आंदोलनों तक को घटा कर, जो कुछ थोड़ी सी जमीन लोगों के पास रह गई है, उसे बचाने के लिए लडने पर पहुंचा दिया गया है। गांवों से खदेड़े गए, छोटे शहरों और महानगरों की गंदी बस्तियों और झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले दसियों लाख भूमिहीन लोगों का, जिनमें बहुसंख्य दलित एवं आदिवासी हैं, रेडिकल विमर्श तक में कोई उल्लेख नहीं होता।
जब गश-अप उस चमकती पिन की नोक पर संपत्ति जमा करता जाता है जहां हमारे अरबपति घिरनी खाते हैं, तब पैसे की लहरें लोकतांत्रिक संस्थाओं पर थपेड़े खाती हैं- न्यायालय, संसद और मीडिया पर भी, और जिस तरीके से उन्हें कार्य करना चाहिए उसे गंभीर जोखिम में डाल देती हैं। चुनावों के दौरान के तमाशे में जितना अधिक शोर होता है, हमारा विश्वास उतना ही कम होता जाता है कि लोकतंत्र सचमुच जीवित है।
भारत में सामने आनेवाले हर नए भ्रष्टाचार के मामले के सामने उसका पूर्ववर्ती फीका लगने लगता है। 2011 की गर्मियों में टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आया। पता चला कि कॉर्पोरेशनों ने एक मददगार सज्जन को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री बनवाकर चार हजार करोड़ डॉलर (दो लाख करोड़) सार्वजनिक धन खा लिया, उन महोदय ने टू-जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम की कीमत बेहद कम करके आंकी और अपने यारों के हवाले कर दिया। प्रेस में लीक हुए टेलीफोन टेप संभाषणों ने बताया कि कैसे उद्योगपतियों का नेटवर्क और उनकी अग्र कंपनियां, मंत्रीगण, वरिष्ठ पत्रकार और टीवी एंकर इस दिनदहाड़े वाली डकैती की मदद में मुब्तिला थे। टेप तो बस एक एमआरआई थे जिन्होंने उस निदान की पुष्टि की जो लोग बहुत पहले कर चुके थे।
निजीकरण और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की अवैध बिक्री में युद्ध, विस्थापन और पारिस्थितिकीय विनाश शामिल नहीं हैं। मगर भारत के पर्वतों, नदियों और वनों के मामले में ऐसा नहीं है। शायद इसलिए कि इसमें खुल्लमखुल्ला लेखापद्धति घोटाले जैसी स्पष्ट सरलता नहीं है, या शायद इसलिए कि यह सब भारत के ‘विकास’ के नाम पर किया जा रहा है, इस वजह से मध्य वर्ग के बीच इसकी वैसी अनुगूंज नहीं है।
कैसा संयोग?
2005 में छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड की राज्य सरकारों ने बहुत सारे निजी कॉर्पोरेशनों के साथ सैकड़ों समझौता-पत्रों (एमओयू) पर दस्तखत कर मुक्त बाजार के विकृत तर्क को भी धता बताकर खरबों रुपए के बॉक्साइट, लौह अयस्क और अन्य खनिज उन्हें कौडिय़ों के दाम दे दिए। (सरकारी रॉयल्टी 0.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत के बीच थी। )
टाटा स्टील के साथ बस्तर में एक एकीकृत इस्पात संयंत्र के निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के समझौतापत्र पर दस्तखत किए जाने के कुछ ही दिनों बाद सलवा जुड़ूम नामक एक स्वयंभू सशस्त्र अर्धसैनिक बल का उद्घाटन हुआ। सरकार ने बताया कि सलवा जुड़ूम जंगल में माओवादी छापामारों के ‘दमन’ से त्रस्त स्थानीय लोगों का स्वयंस्फूर्त विद्रोह है। सलवा जुड़ूम सरकार वित्त और शस्त्रों से लैस तथा खनन निगमों से मिली सब्सिडी प्राप्त एक आधारभूमि तैयार करने का ऑपरेशन निकला। दीगर राज्यों में दीगर नामों वाले ऐसे ही अर्धसैनिक बल खड़े किए गए । प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि माओवादी ‘सुरक्षा के लिए भारत में एकमात्र और सबसे बड़ा खतरा हैं’। यह जंग का ऐलान था।
Halamki pumjivada pratispardha para adharita hota hai, magara khadya shramkhala ke shirsha para baithe hue logom ne dikhaya hai ki ve sabako milakara chalane aura ekajutata dikhane mem samartha haim| mahana pashchimi pumjipatiyom ne phasistom, samajavadiyom, niramkusha sattadhishom aura sainika tanashahom ke satha dhamdha kiya hai| ve lagatara apane Apa ko anukulita kara sakate haim aura nae tarike nikala sakate haim| ve turamta vichara karane aura aparimita nitigata chaturai mem mahira haim|
Magara Arthika sudharom ke madhyama se saphalatapurvaka Age badhana़e, mukta bajara ‘lokatamtra’ bithane ke lie lada़aiyam chedaऩe aura deshom para sainya kabje jamane ke bavajuda, pumjivada eka aise samkata se gujara़ raha hai jisaki gambhirata abhi taka puri taraha samane nahim AI hai| marksa ne kaha tha, ‘ isalie burjua varga jo utpadita karata hai, unamem sabase Upara hote haim usaki hi kabrakhodanevale| inaka patana aura sarvahara ki vijaya donom samana rupa se apariharya haim| ‘
कॉर्पोरेट संपत्ति का दूसरा मुख्य स्रोत है उनकी भूमि के भंडार। दुनिया भर में कमजोर और भ्रष्ट स्थानीय सरकारों ने वॉल स्ट्रीट के दलालों, कृषि-व्यवसाय वाले निगमों और चीनी अरबपतियों को भूमि के विशाल पट्टे हड़पने में मदद की है। (खैर इसमें पानी नियंत्रण तो शामिल है ही)। भारत में लाखों लोगों की भूमि अधिग्रहित करके निजी कॉर्पोरेशनों को – विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड), आधारभूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) परियोजनाओं, बांध, राजमार्गों, कार निर्माण, रसायन केंद्रों, और फॉर्मूला वन रेसों के लिए ‘जन हितार्थ’ दी जा रही है। (निजी संपत्ति की संवैधानिक पवित्रता गरीबों के लिए कभी लागू नहीं होती)। हर बार स्थानीय लोगों से वादे किए जाते हैं कि अपनी भूमि से उनका विस्थापन या जो कुछ भी उनके पास है उसका हथियाया जाना वास्तव में रोजगार निर्माण का हिस्सा है। मगर अब तक हमें पता चल चुका है कि सकल घरेलू उत्पाद की दर में वृद्धि और नौकरियों का संबंध एक छलावा है। 20 सालों के ‘विकास’ के बाद भारत की श्रमशक्ति का साठ प्रतिशत आबादी स्वरोजगार में लगी है और भारत के श्रमिकों का 90 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्य करता है।
Sarvahara varga, jaisa ki marksa ne samajha tha, lagatara hamale jhelata raha hai| phaiktariyam bamda ho gai haim, naukariyam chumamtara ho gai haim, yuniyanem toda़ dali gai haim| pichale kai salom se sarvahara ko hara sambhava tarike se eka-dusare ke khilapha khada़A kiya jata raha hai| bharata mem yaha himdu banama muslima| himdu banama isai, dalita banama adivasi, jati banama jati, pradesha banama pradesha raha hai| aura phira bhi, duniya bhara mem, sarvahara varga lada़ raha hai| bharata mem duniya ke nirdhanatama logom ne kucha samrriddhatama kaॉrporeshanom ka rasta rokane ke lie lada़AI lada़I hai|
Badha़ta pumjivadi samkata
2 जनवरी, 2006 को पड़ोसी राज्य ओडिशा के कलिंगनगर जिले में, शायद यह बताने के लिए कि सरकार अपने इरादों को लेकर कितनी गंभीर है, टाटा इस्पात कारखाने की दूसरी जगह पर पुलिस की दस पलटनें आईं और उन गांव वालों पर गोली चला दी जो वहां विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे। उनका कहना था कि उन्हें जमीन के लिए जो मुआवजा मिल रहा है वह कम है। एक पुलिसकर्मी समेत 13 लोग मारे गए और सैंतीस घायल हुए। छह साल बीत चुके हैं, यद्यपि सशस्त्र पुलिस द्वारा गांव की घेरेबंदी जारी है मगर विरोध ठंडा नहीं पड़ा है।
तैनाती की तैयारियां तो चल ही रही हैं, मध्य भारत के जंगलों की घेरेबंदी जारी है और ग्रामीण बाहर निकलने से, खाद्य सामग्री और दवाइयां खरीदने बाजार जाने से डर रहे हैं। भयावह, अलोकतांत्रिक कानूनों के अंतर्गत माओवादी होने के आरोप में सैकड़ों लोगों को कैद में डाल दिया गया है। जेलें आदिवासी लोगों से भरी पड़ी हैं जिनमें बहुतों को यह भी नहीं पता कि उनका अपराध क्या है। हाल ही में सोनी सोरी, जो बस्तर की एक आदिवासी अध्यापिका हैं, को गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में यातनाएं दी गईं। इस बात का ‘इकबाल’ करवाने के लिए कि वे माओवादी संदेशवाहक हैं उनके गुप्तांग में पत्थर भरे गए थे। कोलकाता के एक अस्पताल में उनके शरीर से पत्थर निकाले गए। वहां उन्हें काफी जन आक्रोश के बाद चिकित्सा जांच के लिए भेजा गया था। उच्चतम न्यायालय की हालिया सुनवाई में एक्टिविस्टों ने न्यायाधीशों को प्लास्टिक की थैली में पत्थर भेंट किए। उनके प्रयासों से केवल यह नतीजा निकला कि सोनी सोरी अब भी जेल में हैं और जिस पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग ने सोनी सोरी से पूछताछ की थी उसे गणतंत्र दिवस पर वीरता के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक प्रदान किया गया।
मास मीडिया की सीमाएं
हमें मध्य भारत की एन्वाइरनमेन्टल और सोशल रीइंजीनियरिंग के बारे में सिर्फ व्यापक विद्रोह और जंग की वजह से खबरें मिल पाती हैं। सरकार कोई सूचना जारी नहीं करती। सारे समझौता-पत्र (एमओयू) गोपनीय हैं। मीडिया के कुछ हिस्सों ने, मध्य भारत में जो कुछ हो रहा है, उस ओर सबका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। परंतु ज्यादातर मास-मीडिया इस कारण कमजोर पड़ जाता है कि उसकी कमाई का अधिकांश हिस्सा कॉर्पोरेट विज्ञापनों से आता है। पर अब तो रही सही कसर भी पूरी हो गई है। मीडिया और बड़े व्यवसायों के बीच की विभाजक रेखा खतरनाक ढंग से धुंधलाने लगी है। जैसा कि हम देख चुके हैं, आरआइएल 27 टीवी चैनलों का करीब-करीब मालिक है। मगर इसका उल्टा भी सच है। कुछ मीडिया घरानों के अब सीधे-सीधे व्यवसायिक और कॉर्पोरेट हित हैं। उदाहरण के लिए, इस क्षेत्र के प्रमुख दैनिक समाचारपत्रों में से एक – दैनिक भास्कर (और यह बस एक उदाहरण है) – के 13 राज्यों में चार भाषाओं के, जिनमें हिंदी और अंग्रेजी दोनों शामिल हैं, एक करोड़ 75 लाख पाठक हैं। यह 69 कंपनियों का मालिक भी है जो खनन, ऊर्जा उत्पादन, रीयल एस्टेट और कपड़ा उद्योग से जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ उच्च-न्यायालय में हाल ही में दायर की गई एक याचिका में डी बी पावर लिमिटेड (दैनिक भास्कर समूह की कंपनियों में से एक) पर कोयले की एक खुली खदान को लेकर हो रही जन-सुनवाई के परिणाम को प्रभावित करने हेतु कंपनी की मिल्कियत वाले अखबारों द्वारा ”जानबूझ कर, अवैध और प्रभावित करनेवाले तरीके” अपनाने का आरोप लगाया गया। यहां यह बात प्रासंगिक नहीं कि उन्होंने परिणाम को प्रभावित करने की कोशिश की या नहीं। मुद्दा यह है कि मीडिया घराने ऐसा करने की स्थिति में है। ऐसा करने की ताकत भी उनके पास है। देश के कानून उन्हें ऐसी स्थिति में होने की इजाजत देते हैं जो हितों के गंभीर टकराव वाली स्थितियां हैं।
जनवरी, 2011 में महात्मा (गांधी) मंदिर में गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 देशों से आये 10,000 अंतर्राष्ट्रीय कारोबारियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने गुजरात में 45,000 करोड़ डॉलर निवेश करने का वादा किया है। फरवरी-मार्च, 2002 में हुए 2,000 मुसलमानों के कत्लेआम की दसवीं बरसी की शुरुआत के मौके पर ही वह सम्मेलन होने वाला था। मोदी पर न केवल हत्याओं की अनदेखी करने का बल्कि सक्रिय रूप से उन्हें बढ़ावा देने का भी आरोप है। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों का बलात्कार होते, उन्हें टुकड़े-टुकड़े होते और जिंदा जलाये जाते देखा है, जिन दसियों हजार लोगों को अपना घर छोडऩे के लिए मजबूर किया गया था, वे अब भी इंसाफ के हल्के से इशारे के मुंतजिर हैं। मगर मोदी ने अपना केसरिया दुपट्टा और सिंदूरी माथा चमकदार बिजनेस सूट से बदल लिया है और उन्हें उम्मीद है कि 45,000 करोड़ डॉलर का निवेश ब्लड मनी (मुआवजे) के तौर पर काम करेगा और हिसाब बराबर हो जाएगा। शायद ऐसा हो भी जाए। बड़ा व्यवसाय उत्साह से उनका समर्थन कर रहा है। अपरिमित न्याय का बीजगणित रहस्यमय तरीकों से काम करता है।
धोलेरा एसआइआर छोटी मात्रियोश्का गुडिय़ों में एक है, जिस नरक की योजना बनाई जा रही है उसकी एक अंदर वाली गुडिय़ा। ये दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआइसी) से जोड़ा जायेगा, डीएमआइसी एक 1500 किमी लंबा और 300 किमी चौड़ा औद्योगिक गलियारा होगा जिसमें नौ बहुत बड़े औद्योगिक क्षेत्र, एक तीव्र-गति मालवाहक रेल लाइन, तीन बंदरगाह और छह हवाई अड्डे, एक छह लेन का बिना चौराहों (इंटरसेक्शन) वाला द्रुतगति मार्ग और एक 4000 मेगावाट का ऊर्जा संयंत्र होगा। डीएमआइसी भारत और जापान की सरकारों और उनके अपने-अपने कॉर्पोरेट सहयोगियों का साझा उद्यम है और उसे मेकिंजी ग्लोबल इंस्टिट्यूट ने प्रस्तावित किया है।
Hathiyarom ki jarurata jamga ladaऩe ke lie hoti hai? Ya jamgom ki jarurata hathiyarom ke lie bajara taiyara karane ke lie hoti hai? Jo bhi ho yoropa, amerika aura ijara़Aila ki arthavyavasthaem bahuta kucha unake hathiyara udyoga para nirbhara haim| yahi vaha chija hai jo unhomne china ko autasorsa nahim ki|
O.Ara.epha. Ke ‘samsthagata sahayogiyom’ ki suchi mem Apako raimda kaॉrporeshana, phorda phaumdeshana, vishva baimka, brukimgsa imstityushana (jinaka ghoshita mishana hai ‘aisi abhinava evam vyavaharika anushamsaem karana jo tina vrrihata lakshyom ko Age badha़Aye: ameriki lokatamtra ko majabuta karana; sabhi amerikiyom ka Arthika aura samajika kalyana, suraksha aura avasara ko badha़ava dena; aura adhika udara, surakshita, samrriddha aura sahakaratmaka amtarrashtriya vyavastha arjita karana’| ) usa suchi mem Apako jarmani ke roja lakjamabarga phaumdeshana ka nama bhi milega| (bechari roja, jinhomne samyavada ke dhyeya ke lie apani jana di unaka nama aisi suchi mem!)
डीएमआइसी की वेबसाइट कहती है कि इस प्रोजेक्ट से लगभग 18 करोड़ लोग ‘प्रभावित’ होंगे। वास्तव में वे किस प्रकार प्रभावित होंगे यह नहीं बताया गया। कई नए शहरों का निर्माण किए जाने का अनुमान है और अंदाजा है कि 2019 तक इस क्षेत्र की जनसंख्या वर्तमान 23.1 करोड़ से बढ़कर 31.4 करोड़ हो जाएगी। क्या आपको याद है कि आखिरी बार कब किसी राज्य, निरंकुश शासक या तानाशाह ने दसियों लाख लोगों की जनसंख्या को स्थानांतरित किया था? क्या यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण हो सकती है?
भारतीय सेना को शायद भर्ती अभियान चलाना पड़ेगा ताकि जब उसे भारत भर में तैनाती का आदेश मिले तो शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े। मध्य भारत में अपनी भूमिका की तैयारी में भारतीय सेना ने सैन्य मनोवैज्ञानिक परिचालन (मिलिटरी साइकोलॉजिकल ऑपरेशंस) पर अपना अद्यतन सिद्धांत सार्वजनिक रूप से जारी किया, जो ‘वांछित प्रवृत्तियों और आचरण पैदा करने वाली खास विषय वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए चुनी हुई लक्षित जनता तक संदेश संप्रेषित करने की नियोजित प्रक्रिया’ का खाका खींचती है ‘जो देश के राजनीतिक और सैनिक उद्देश्यों की प्राप्ति पर असर डालती है’। इसके अनुसार ‘अभिज्ञता प्रबंधन’ की यह प्रक्रिया, ‘सेना को उपलब्ध संचार माध्यमों’ के द्वारा संचालित की जायेगी।
अपने अनुभव से सेना को पता है कि जिस पैमाने की सामाजिक इंजीनियरिंग भारत के योजनाकर्ताओं ने सोची है उसे केवल बलपूर्वक प्रबंधित और कार्यान्वित नहीं किया जा सकता। गरीबों के खिलाफ जंग एक बात है। मगर हम जैसे बाकी बचे लोगों के लिए- मध्य वर्ग, सफेदपोश कर्मी, बुद्धिजीवी, ‘अभिमत बनाने वाले’ – तो यह ‘अभिज्ञता प्रबंधन’ ही चाहिए होगा। और इसके लिए हमें अपना ध्यान ‘कॉर्पोरेट परोपकार’ की उत्कृष्ट कला की ओर ले जाना होगा।
खुशी का उत्खनन
अगर नैतिक पवित्रता के हथौड़े को पत्थर फेंकने का मापदंड होना है, तो केवल वे ही लोग योग्य हैं जिन्हें पहले ही खामोश कर दिया गया है। जो लोग इस व्यवस्था से बाहर रहते हैं; जंगल में रहने वाले अपराधी घोषित कर दिए लोग, या वे जिनका विरोध प्रेस कभी कवर नहीं करता, या फिर वे शालीन विस्थापित जन जो इस ट्राइब्यूनल से उस ट्राईब्यूनल तक साक्ष्यों को सुनते हैं और साक्ष्य बनते, घूमते हैं।
मगर लिट्फेस्ट ने हमें वाह! वाह! का मौका तो दिया ही। ओपरा आईं। उन्होंने कहा भारत मुझे पसंद आया और मैं बार-बार यहां आउंगीं। इसने हमें गौरवान्वित किया।
ये उत्कृष्ट कला का प्रहसनात्मक अंत है।
वैसे तो टाटा लगभग सौ सालों से कॉर्पोरेट परोपकार में शामिल है, छात्रवृत्तियां प्रदान कर और कुछ बेहतरीन शिक्षा संस्थान व अस्पताल चलाकर। पर भारतीय निगमों को इस स्टार चेंबर, या कैमेरा स्टेलाटा में हाल ही में आमंत्रित किया गया है। कैमेरा स्टेलाटा वैश्विक कॉर्पोरेट सरकार की वह चमचमाती दुनिया है जो उसके विरोधियों के लिए तो मारक है मगर वैसे इतनी कलात्मक है कि आपको उसके अस्तित्व का पता ही नहीं चलता।
परोपकार की धारा
इस निबंध में आगे जो आने वाला है, वह कुछ लोगों को किंचित कटु आलोचना प्रतीत होगी। दूसरी ओर, अपने विरोधियों का सम्मान करने की परंपरा में, इसे उन लोगों की दृष्टि, लचीलेपन, परिष्करण और दृढ़ निश्चय की अभिस्वीकृति के तौर पर भी पढ़ा जा सकता है, जिन्होंने अपनी जिंदगियां दुनिया को पूंजीवाद के लिए सुरक्षित रखने हेतु समर्पित कर दी हैं।
Ambedakara ko mahasusa hua ki eka aise samaja mem jaham himdu shastra chuachuta aura asamanata ka samsthakarana karate haim, vaham ‘achutom’ ke lie, unake samajika aura nagari adhikarom ke lie tatkala samgharsha karana usa samyavadi kramti ke imtajara se kahim jyada jaruri tha jisaka ashvasana tha| ambedakaravadiyom aura vama ke bicha ki darara ki donom hi pakshom ko bahuta bada़I kimata chukani pada़I hai| isaka matalaba yaha nikala hai ki dalita abadi ke bahuta bada़e hisse ne, jo bharata ke mehanatakasha varga ki ridha़ hai, sammana aura behatari ki apani ummidem samvidhanavada, pumjivada aura basapa jaise rajanitika dalom se laga li haim, jo pahachana ki rajaniti ke usa bramda ka palana karate haim jo mahattvapurna to hai para dirghakalika taura para gatihina hai|
Amerika mem, jaisa ki hamane dekha, kaॉrporeta-anudanita phaumdeshanom ne enajio samskrriti ko janma diya| bharata mem lakshya bana kara kie jane vale kaॉrporeta paropakara ki gambhiratapurvaka shuruata nabbe ke dashaka mem, nai Arthika nitiyom ke yuga mem hui| stara chembara ki sadasyata saste mem nahim milati| TATA samuha ne usa jaruratamamda samsthana, harvarda bijanesa skula, ko pamcha karoda़ daॉlara aura kaॉrnela vishvavidyalaya ko bhi pamcha karoda़ daॉlara dana kie| inaphosisa ke namdana nilakeni aura unaki patni rohini ne 50 lakha daॉlara yela vishvavidyalaya ke imdiya inishietiva ko shuruati nidhi ke taura para dana kie| mahimdra samuha dvara aba taka ka sabase bada़A eka karoda़ daॉlara ka anudana pane ke bada harvarda hyumainitija semtara ka nama aba mahimdra hyumainitija semtara ho gaya hai|
Yaham para jimdala samuha, jisake khanana, dhatu aura urja mem bada़e nivesha haim, jimdala globala laॉ skula chalata hai aura jalda hi jimdala skula ऑpha gavarnamemta emda pablika paॉlisi shuru karane vala hai| (phorda phaumdeshana kamgo mem eka vidhi mahavidyalaya chalata hai|) inaphosisa ke munaphom se mile paise se chalane vala namdana nilakeni dvara anudanita da nyu imdiya phaumdeshana samaja vij~naniyom ko puraskara aura pheloshipa deta hai| gramina vikasa, garibi nivarana, paryavarana shiksha aura naitika utthana ke kshetrom mem kama karane valom ke lie jimdala elyuminiyama se anudana prapta sitarama jimdala phaumdeshana ne eka-eka karoda़ rupae ke pamcha nagada puraskarom ki ghoshana ki hai| rilayamsa samuha ka ऑbjarvara risarcha phaumdeshana (o.Ara.epha.), jise philahala mukesha ambani se dhana milata hai, raॉkaphelara phaumdeshana ke amdaja mem dhala hai| isase risarcha ‘phelo’ aura salahakarom ke taura para guptachara sevaom ke seva nivrritta ejemta, samarika vishleshaka, rajaneta (jo samsada mem eka dusare ke khilapha hone ka nataka karate haim), patrakara aura niti nirdharaka juda़e haim|
उनका सम्मोहक इतिहास, जो समकालीन स्मृति से धुंधला हो गया है, अमेरिका में बीसवीं सदी के शुरुआती दौर में आरंभ हुआ , जब दानप्राप्त फाउंडेशनों के रूप में कानूनन खड़े किए जाने पर कॉर्पोरेट परोपकार ने पूंजीवाद के (और साम्राज्यवाद) के लिए रास्ते खोलने वाले और मुस्तैद निगहबानी करने वाले की भूमिका से मिशनरी गतिविधियों की जगह लेनी शुरू की। अमेरिका में स्थापित किए गए शुरुआती फाउंडेशनों में थे कार्नेगी स्टील कंपनी के मुनाफों से मिले दान से 1911 में कार्नेगी कारपोरेशन; और स्टैण्डर्ड आयल कंपनी के संस्थापक जे. डी. रॉकफेलर के दान से 1914 में बना रॉकफेलर फाउंडेशन। उस समय के टाटा और अंबानी।
रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित, प्रारंभिक निधि प्राप्त या सहायता प्राप्त कुछ संस्थान हैं संयुक्त राष्ट्र संघ, सीआइए, काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशंस, न्यूयॉर्क का बेहद शानदार म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट और बेशक न्यूयॉर्क का रॉकफेलर सेंटर (जहां डिएगो रिविएरा को म्यूरल दीवार से तोड़ कर हटा दिया गया था क्योंकि उसमें शरारतपूर्ण ढंग से मूल्यहीन पूंजीपतियों और वीर लेनिन को दर्शाया गया था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उस दिन छुट्टी मना रही थी। )
जे.डी. रॉकफेलर अमेरिका के पहले अरबपति और दुनिया के सबसे अमीर आदमी थे। वे दासता-विरोधी, अब्राहम लिंकन के समर्थक थे और शराब को हाथ नहीं लगाते थे। उनका विश्वास था कि उनका धन भगवान का दिया हुआ है जो निश्चय ही उनके प्रति दयालु रहा होगा।
प्रस्तुत हैं ‘स्टैण्डर्ड आयल कंपनी’ शीर्षक पाब्लो नेरुदा की एक शुरुआती कविता के अंश:
न्यूयॉर्क के उनके थुलथुल बादशाह लोग
सौम्य मुस्कराते हत्यारे हैं
जो खरीदते हैं रेशम, नायलॉन, सिगार,
हैं छोटे-मोटे आततायी और तानाशाह ।
वे खरीदते हैं देश, लोग, समंदर, पुलिस, विधान/ सभाएं,
दूरदराज के इलाके जहां गरीब इकट्ठा करते हैं/ अनाज
जैसे कंजूस जोड़ते हैं सोना,
स्टैंडर्ड आयल उन्हें जगाती है,
वर्दियां पहनाती है,
बताती है कि कौन-सा भाई है शत्रु उनका।
उसकी लड़ाई पराग्वे वासी लड़ता है
और बोलीवियाईजंगलों में इसकी मशीनगनों के साथ भटकता है।
पेट्रोलियम की एक बूंद के लिए मार डाला गया/ एक राष्ट्रपति,
दस लाख एकड़ रेहन रखता है,
उजाले से मृत पथरायी हुई एक सुबह तेजी से /दिया जाता है मृत्युदंड ,
बागियों के लिए एक नया कैदखाना
पातागोनिया में, एक विश्वासघात, पेट्रोलियम/चांद के तले
गोलियों की छिट पुट आवाजें, राजधानी में
मंत्रियों को उस्तादी से बदलना,
राजधानी में, एक फुसफुसाहट
तेल की लहरों जैसी
और फिर प्रहार। आप देखेंगे
कि कैसे स्टैंडर्ड आयल के शब्द चमकते हैं/ बादलों के ऊपर,
समंदरों के ऊपर, आपके घर में
अपने प्रभाव क्षेत्र को जगमगाते हुए।
करों से मुक्ति का मार्ग
Mahilaom ke amdolana ke enajiokarana ne pashchimi udara narivada ko (sabase jyada vittaposhita hone ke karana) narivada kya hota hai ka jhamdabaradara bana diya hai| lada़aiyam, hamesha ki taraha, mahilaom ki deha ko lekara lada़I gaim, eka sire para botoksa ko khimcha kara aura dusare para burke ko| (aura phira ve bhi haim jina para botoksa aura burke ki dohari mara pada़ti hai|) jaba mahilaom ko jabaradasti burke se bahara lane ki koshisha ki jati hai, jaisa ki hala hi mem phramsa mem hua, bajaya yaha karane ke ki aisi paristhitiyam nirmita ki jaem ki mahilaem khuda chunava kara paem ki unhem kya pahanana hai aura kya nahim, taba bata use ajada karane ki nahim usake kapada़e utarane ki ho jati hai| yaha apamana aura samskrritika samrajyavada ka kama ho jata hai| bata burke ki nahim hai| bata jabaradasti ki hai| mahilaom ko jabaradasti burke se bahara nikalana vaisa hi hai jaise unhem jabaradasti burka pahanana| jemdara ko isa taraha dekhana, matalaba samajika, rajanitika aura Arthika samdarbha ke bina, use pahachana ka mudda bana deta hai, sirpha pahanave aura dikhave ki chijom ki lada़AI| yahi vaha tha jisane ameriki sarakara ko 2001 mem aphaganistana para hamala karate samaya pashchimi mahilavadi samuhom ki naitika ada़ lene ka mauka diya| aphagani auratem talibana ke raja mem bhayanaka mushkilom mem thim (aura haim)| magara una para bama barasa kara unaki samasyaom ka samadhana nahim hone vala tha|
अमेरिका में जब पहले-पहल कॉर्पोरेट धनप्राप्त फाउंडेशनों का आविर्भाव हुआ तो वहां उनके उद्गम, वैधता और उत्तरदायित्व के अभाव को लेकर तीखी बहस हुई। लोगों ने सलाह दी कि अगर कॉर्पोरेशनों के पास इतना अधिशेष है, तो उन्हें मजदूरों की तनख्वाहें बढ़ानी चाहिए। (उन दिनों अमेरिका में भी लोग ऐसी बेहूदा सलाहें दिया करते थे। ) इन फाउंडेशनों का विचार, जो आज मामूली बात लगता है, दरअसल कारोबारी कल्पना की एक ऊंची छलांग था। करों से मुक्त वैध संस्थाएं जिनके पास अत्यधिक संसाधन और लगभग असीमित योजनाएं हों – जवाबदेही से पूर्णत: मुक्त, पूर्णत: अपारदर्शी – आर्थिक संपत्ति को राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पूंजी में बदलने का इससे बढिय़ा तरीका और क्या हो सकता है? सूदखोरों के लिए अपने मुनाफों के एक रत्तीभर प्रतिशत को दुनिया को चलाने में इस्तेमाल करने का इससे बढिय़ा तरीका और क्या हो सकता है? वरना बिल गेट्स जो, खुद कहते हैं कि वे कंप्यूटर के बारे में भी एक-दो चीजें ही जानते हैं, सिर्फ अमेरिकी सरकार के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर की सरकारों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि नीतियां तैयार करते पाए जाते हैं?
विगत वर्षों में जब लोगों ने फाउंडेशनों द्वारा की गई कुछ सचमुच अच्छी चीजें (सार्वजनिक पुस्तकालय चलाना, बीमारियों का उन्मूलन) देखीं- वहीं कॉर्पोरेशनों और उनसे पैसा प्राप्त फाउंडेशनों के बीच का सीधा संबंध धुंधलाने लगा। अंतत: वह पूरी तरह धुंधला पड़ा गया। आज तो अपने आप को वामपंथी समझने वाले तक उनकी दानशीलता स्वीकारने से शर्माते नहीं हैं।
1920 के दशक तक अमेरिकी पूंजीवाद ने कच्चे माल और विदेशी बाजार के लिए बाहर नजर डालना शुरू कर दिया था। फाउंडेशनों ने वैश्विक कार्पोरेट प्रशासन के विचार का प्रतिपादन शुरू किया। 1924 में रॉकफेलर और कार्नेगी फाउंडेशनों ने मिलकर काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर – विदेश संबंध परिषद) की स्थापना की जो आज दुनिया का सबसे शक्तिशाली विदेश नीति दबाव-समूह है। सीएफआर को बाद में फोर्ड फाउंडेशन से भी अनुदान मिला। सन 1947 के आते-आते सीएफआर नवगठित सीआईए को पूरा समर्थन देने लगा और वे साथ मिलकर काम करने लगे। अब तक अमेरिका के 22 गृह-सचिव (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) सीएफआर के सदस्य रह चुके हैं। सन 1943 की परिचालन समिति में, जिसने संयुक्त राष्ट्र संघ की योजना बनाई थी, पांच सीएफआर सदस्य थे, और आज न्यूयॉर्क में जहां सं.रा.संघ का मुख्यालय खड़ा है वह जमीन जे.डी. रॉकफेलर द्वारा मिले 850 करोड़ डॉलर के अनुदान से खरीदी गई थी।
1946 से लेकर आज तक विश्व बैंक के सभी ग्यारह अध्यक्ष – वे लोग जो स्वयं को गरीबों का मिशनरी बतलाते हैं – सीएफआर के सदस्य रहे हैं। (जॉर्ज वुड्स इसके अपवाद हैं और वे रॉकफेलर फाउंडेशन के ट्रस्टी और चेज-मैनहटन बैंक के उपाध्यक्ष थे। )
सद्भावना का अंतरराष्ट्रीय चेहरा
ब्रेटन वुड्स में विश्व बैंक और आइएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने निर्णय लिया कि अमेरिकी डॉलर को विश्व की संचय मुद्रा (रिजर्व करंसी) होना चाहिए और यह कि वैश्विक पूंजी की पैठ को और बढ़ाने के लिए जरूरी होगा कि एक मुक्त बाजार व्यवस्था में प्रयुक्त व्यवसायिक कार्यप्रणालियों का सार्वभौमीकरण और मानकीकरण किया जाए। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे गुड गवर्नेंस (जब तक डोरी उनके हाथों में रहे) और रूल ऑफ लॉ अर्थात कानून-व्यवस्था (बशर्ते कानून बनाने में उनकी चले) की संकल्पना और सैकड़ों भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यक्रमों (उनकी बनाई हुई व्यवस्था को सरल और कारगर बनाने हेतु) को बढ़ावा देने के लिए इतना पैसा खर्च करते हैं। विश्व की दो सर्वाधिक अपारदर्शी और जवाबदेह-रहित संस्थाएं गरीब देशों की सरकारों से पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की मांग करती फिरती हैं।
ये देखते हुए कि एक के बाद दूसरे देश के बाजारों को बलपूर्वक और जबरदस्ती वैश्विक वित्त के लिए खुलवाकर विश्व बैंक ने तीसरी दुनिया की आर्थिक नीतियों को लगभग निर्देशित किया है, कहा जा सकता है कि कॉर्पोरेट परोपकार आज तक का सबसे दिव्य धंधा साबित हुआ है।
कॉर्पोरेट-धनप्राप्त फाउंडेशन अभिजात क्लबों और थिंक-टैंकों (चिंतन मंडलियों) की व्यवस्था के द्वारा अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और अपने खिलाडिय़ों को शतरंज की बिसात पर इन विशिष्ट क्लबों और थिंक-टैंकों के जरिये बैठाते हैं। इनके सदस्य साझा होते हैं और घूमते दरवाजों से अंदर बाहर होते रहते हैं। खासकर वामपंथी समूहों के बीच जो विभिन्न षड्यंत्र-गाथाएं प्रचलन में हैं, उनके उलट इस व्यवस्था के बारे में कुछ भी गोपनीय, शैतानी और गुप्त-सदस्यता जैसा नहीं है। जिस तरह कॉर्पोरेशन शैल (नाममात्र) के लिए पंजीकृत कंपनियों और अपतट (ऑफशोर) खातों का इस्तेमाल पैसे के हस्तांतरण और प्रबंधन के लिए करते हैं, यह तरीका उससे बहुत अलग नहीं है। फर्क इतना ही है कि यहां प्रचतिल मुद्रा ताकत है, पैसा नहीं।
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सीएफआर का अंतर्राष्ट्रीय समतुल्य है तीन आयामी आयोग, जिसकी स्थापना 1973 में डेविड रॉकफेलर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ज्बीग्न्येफ ब्रजिन्स्की (अफगान मुजाहिद्दीन अर्थात तालिबान के पूर्वज का संस्थापक-सदस्य), चेज-मैनहटन बैंक और कुछ अन्य निजी प्रतिष्ठानों ने मिलकर की थी। इसका उद्देश्य था उत्तरी अमेरिका, योरोप और जापान के अभिजातों के बीच मैत्री और सहकार्य का एक चिरस्थायी बंधन तैयार करना। ये अब एक पंचकोणीय आयोग बन गया है क्योंकि इसमें अब भारत और चीन के सदस्य भी शामिल हैं। (सीआइआइ के तरुण दास; इनफोसिस के पूर्व-सीईओ एन.आर.नारायणमूर्ति; गोदरेज के प्रबंध निदेशक जमशेद एन. गोदरेज, टाटा संस के निदेशक जमशेद जे. ईरानी; और अवंता समूह के सीईओ गौतम थापर)।
द ऐस्पन इंस्टीट्यूट स्थानीय अभिजातों, व्यवसायिकों, नौकरशाहों, राजनीतिकों का एक अंतर्राष्ट्रीय क्लब है जिसकी शाखाएं बहुत से देशों में हैं। ऐस्पन इंस्टीट्यूट की भारतीय शाखा के अध्यक्ष तरुण दास हैं। गौतम थापर सभापति हैं। मैकंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के प्रस्तावक) के कई वरिष्ठ पदाधिकारी सीएफआर के, ट्राईलैटरल कमीशन के, और द ऐस्पन इंस्टीट्यूट के सदस्य हैं।
द फोर्ड फाउंडेशन (जो किंचित अनुदार रॉकफेलर फाउंडेशन का उदारवादी रूप है, हालांकि दोनों लगातार मिलकर काम करते हैं) की स्थापना 1936 में हुई। हालांकि उसे अक्सर कम महत्त्व दिया जाता है, पर फोर्ड फाउंडेशन की एकदम साफ और पूर्णत: स्पष्ट विचारधारा है और यह अपनी गतिविधियां अमेरिकी गृहमंत्रालय के साथ बहुत नजदीकी से तालमेल बैठाकर चलाता है। लोकतंत्र और ‘गुड गवर्नंस’ (सुशासन)को गहराने का उनका प्रोजेक्ट मुक्त बाजार में कारोबारी कार्यप्रणालियों के मानकीकरण और कार्यक्षमता को बढ़ावा देने की ब्रेटन वुड्स स्कीम का ही हिस्सा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद, जब अमेरिकी सरकार के शत्रु नंबर एक के तौर पर फासिस्टों की जगह कम्युनिस्टों ने ले ली थी, शीत युद्ध से निपटने के लिए नई तरह की संस्थाओं की जरूरत थी। फोर्ड ने आरएएनडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन या रैंड) को पैसा दिया जो एक सैन्य थिंक-टैंक है और उसने शुरुआत अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए अस्र अनुसंधान के साथ की। 1952 में ‘मुक्त राष्ट्रों में घुसपैठ करने और उनमें अव्यवस्था फैलाने के अनवरत साम्यवादी प्रयत्नों’ को रोकने के लिए उसने गणतंत्र कोष की स्थापना की, जो फिर लोकतांत्रिक संस्थानों के अध्ययन केंद्र में परिवर्तित हो गया । उसका काम था मैकार्थी की ज्यादतियों के बिना चतुराई से शीत युद्ध लडऩा। भारत में करोड़ों डालर निवेश करके जो काम फोर्ड फाउंडेशन कर रहा है- कलाकारों, फिल्मकारों और एक्टिविस्टों को दीए जाने वाली वित्तीय मददें, विश्वविद्यालयीन कोर्सों और छात्रवृत्तियों हेतु उदार अनुदान – उसे हमें इस नजरिए से देखना होगा।
बहुत सालों बाद यह विचार बांग्लादेश के दरिद्र देहाती क्षेत्र में ‘ट्रिकल डाउन’ (रिसकर) होकर पहुंचा जब मुहम्मद युनुस और ग्रामीण बैंक ने भूखे मरते किसानों को माइक्रोक्रेडिट (लघु वित्त) उपलब्ध करवाया जिसके विनाशकारी परिणाम हुए। भारत में लघुवित्त कंपनियां सैकड़ों आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं- सिर्फ 2010 में ही आंध्र प्रदेश में 240 लोगों ने खुदकुशी की। हाल ही में एक राष्ट्रीय दैनिक ने एक ऐसी अठारह वर्षीय लड़की का खुदकुशी करने से पहले लिखा पत्र प्रकाशित किया था जिसे उसके पास बचे आखिरी 150 रुपए, जो उसकी स्कूल की फीस थी, लघुवित्त कंपनी के गुंडई करने वाले कर्मचारियों को देने पर मजबूर होना पड़ा। उस पत्र में लिखा था, ‘मेहनत करो और पैसा कमाओ। कर्जा मत लो। ‘
Pichale sala disambara mem imdiyana eksapresa ki riporta thi: ‘dalita inakleva redi TU sho bijana़esa kaina bita kasta’| isamem dalita imdiyana chembara ऑpha kaॉmarsa emda imdastrija (dikki) ke eka salahakara ko uddhrrita kiya gaya tha| ‘hamare samaja mem dalitom ki sabha ke lie pradhana mamtri ko lana mushkila nahim hai| magara dalita udyamiyom ke lie TATA ya godareja ke satha dopahara ke khane para ya chaya para eka tasvira khimchavana eka aramana hota hai – aura isa bata ka sabuta ki ve Age badha़ehaim,’ unhomne kaha| Adhunika bharata ki paristhiti ko dekhate hue yaha kahana jativadi aura pratikriyavadi hoga ki dalita udyamiyom ko nami-garami udyogapatiyom ke satha baithane (hai Tebala para jagaha pane) ki koi jarurata nahim| magara yaha abhilasha, agara dalita rajaniti ka vaicharika dhamcha hone lagi to bada़e sharma ki bata hogi| aura isa se una karoda़om dalitom ko bhi koi madada nahim milegi jo aba bhi apane hathom se kachara sapha karake jivika chalate haim- apane sirom para adami ki vishtha Dhote haim|
गरीबी में बहुत पैसा है, और चंद नोबेल पुरस्कार भी।
स्वयंसेवा का मार्ग
1950 के दशक तक कई एनजीओ और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थानों को पैसा देने के काम के साथ-साथ रॉकफेलर और फोर्ड फाउंडेशन ने अमेरिकी सरकार की लगभग शाखाओं के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। अमेरिकी सरकार उस वक्त लातिन अमेरिका, ईरान और इंडोनेशिया में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारें गिराने में लगी हुई थी। (यही वह समय है जब उन्होंने भारत में प्रवेश किया जो गुटनिरपेक्ष था पर साफ तौर पर उसका झुकाव सोवियत संघ की तरफ था। ) फोर्ड फाउंडेशन ने इंडोनेशियाई विश्वविद्यालय में एक अमेरिकी-शैली का अर्थशास्त्र का पाठ्यक्रम स्थापित किया। संभ्रांत इंडोनेशियाई छात्रों ने, जिन्हें विप्लव-प्रतिरोध (काउंटर इंसर्जंसी) में अमेरिकी सेना के अधिकारियों ने प्रशिक्षित किया था, 1965 में सीआईए-समर्थित तख्ता-पलट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसमें जनरल सुहार्तो सत्ता में आये। लाखों कम्युनिस्ट विद्रोहियों को मरवाकर जनरल सुहार्तो ने अपने सलाहकार-मददगारों का कर्जा चुका दिया।
बीस साल बाद चिली के युवा छात्रों को, जिन्हें शिकागो ब्वायज के नाम से जाना गया, शिकागो विश्वविद्यालय (जे.डी. रॉकफेलर द्वारा अनुदान प्राप्त) में मिल्टन फ्रीडमन द्वारा नवउदारवादी अर्थशास्र में प्रशिक्षण हेतु अमेरिका ले जाया गया। ये 1973 में हुए सीआइए-समर्थित तख्ता-पलट की पूर्वतैयारी थी जिसमें साल्वाडोर आयेंदे की हत्या हुई और जनरल पिनोशे के साथ हत्यारे दस्तों, गुमशुदगियों और आतंक का राज आया जो सत्रह वर्ष तक चला। (आयेंदे का जुर्म था एक लोकतांत्रिक ढंग से चुना हुआ समाजवादी होना और चीले की खानों का राष्ट्रीयकरण करना। )
1957 में रॉकफेलर फाउंडेशन ने एशिया में सामुदायिक नेताओं के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना की। इसे फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे का नाम दिया गया जो दक्षिण-पूर्व एशिया में साम्यवाद के खिलाफ अमेरिका के अभियान के महत्त्वपूर्ण सहयोगी थे। 2000 में फोर्ड फाउंडेशन ने रेमन मैग्सेसे इमर्जंट लीडरशिप पुरस्कार की स्थापना की। भारत में कलाकारों, एक्टिविस्टों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच मैग्सेसे पुरस्कार की बड़ी प्रतिष्ठा है। एम.एस. सुब्बलक्ष्मी को यह पुरस्कार मिला था और उसी तरह जयप्रकाश नारायण और भारत के बेहतरीन पत्रकार पी. साइनाथ को भी। मगर जितना फायदा पुरस्कार से इन लोगों का हुआ उस से अधिक इन्होंने पुरस्कार को पहुंचाया। कुल मिला कर यह इस बात का नियंता बन गया है कि किस प्रकार का ‘एक्टिविज्म’ स्वीकार्य है और किस प्रकार का नहीं।
दिलचस्प यह कि पिछली गर्मियों में हुए अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन की अगुआई तीन मैग्सेसे पुरस्कार-प्राप्त व्यक्ति कर रहे थे – अण्णा हजारे, अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी। अरविन्द केजरीवाल के बहुत से गैर-सरकारी संगठनों में से एक को फोर्ड फाउंडेशन से अनुदान मिलता है। किरण बेदी के एनजीओ को कोका कोला और लेहमन ब्रदर्स से पैसा मिलता है।
Ajadi ke bada, assi ke dashaka taka, jana amdolana, naksalavadiyom se lekara jayaprakasha narayana ke sampurna kramti amdolana taka, bhumi sudharom ke lie, samamti jamimdarom se bhumihina kisanom ko bhumi ke punarvitarana ke lie lada़ rahe the| Aja bhumi aura sampatti ke punarvitarana ki koi bhi bata na kevala alokatamtrika balki pagalapana mani jaegi| yaham taka ki sarvadhika ugra amdolanom taka ko ghata kara, jo kucha thoda़I si jamina logom ke pasa raha gai hai, use bachane ke lie ladane para pahumcha diya gaya hai| gamvom se khadeda़e gae, chote shaharom aura mahanagarom ki gamdi bastiyom aura jhuggi-jhopadiय़om mem rahane vale dasiyom lakha bhumihina logom ka, jinamem bahusamkhya dalita evam adivasi haim, redikala vimarsha taka mem koi ullekha nahim hota|
Jaba gasha-apa usa chamakati pina ki noka para sampatti jama karata jata hai jaham hamare arabapati ghirani khate haim, taba paise ki laharem lokatamtrika samsthaom para thapeda़e khati haim- nyayalaya, samsada aura midiya para bhi, aura jisa tarike se unhem karya karana chahie use gambhira jokhima mem dala deti haim| chunavom ke daurana ke tamashe mem jitana adhika shora hota hai, hamara vishvasa utana hi kama hota jata hai ki lokatamtra sachamucha jivita hai|
भले ही अण्णा हजारे स्वयं को गांधीवादी कहते हैं, मगर जिस कानून की उन्होंने मांग की है- जन लोकपाल बिल- वह अभिजातवादी, खतरनाक और गांधीवाद के विरुद्ध है। चौबीसों घंटे चलने वाले कॉर्पोरेट मीडिया अभियान ने उन्हें ‘जनता’ की आवाज घोषित कर दिया। अमेरिका में हो रहे ऑक्युपाइ वॉल स्ट्रीट आंदोलन के विपरीत हजारे आंदोलन ने निजीकरण, कॉर्पोरेट ताकत और आर्थिक ‘सुधारों’ के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला। उसके विपरीत इसके प्रमुख मीडिया समर्थकों ने बड़े-बड़े कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार घोटालों (जिनमें नामी पत्रकारों का भी पर्दाफाश हुआ था) से जनता का ध्यान सफलतापूर्वक हटा दिया और राजनीतिकों की जन-आलोचना का इस्तेमाल सरकार के विवेकाधीन अधिकारों में और कमी लाने एवं और अधिक निजीकरण की मांग करने के लिए इस्तेमाल किया। (2008 में अण्णा हजारे ने विश्व बैंक से उत्कृष्ट जन सेवा का पुरस्कार लिया। ) विश्व बैंक ने वाशिंगटन से एक वक्तव्य जारी किया कि यह आंदोलन उसकी नीतियों से पूरी तरह ‘मेल खाता’ है।
जिन लोगों पर शासन किया जा रहा है उन पर नियंत्रण रखने के लिए सूचना एकत्रित करना किसी भी शासक सत्ता का मूलभूत सिद्धांत है। जिस समय भूमि अधिग्रहण और नई आर्थिक नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध भारत में बढ़ता जा रहा है, तब मध्य भारत में खुल्लमखुल्ला जंग की छाया में, सरकार ने नियंत्रण तकनीक के तौर पर एक विशाल बायोमेट्रिक कार्यक्रम का प्रारंभ किया, यूनिक आइडेंटीफिकेशन नंबर (विशिष्ट पहचान संख्या या यूआइडी) जो शायद दुनिया का सर्वाधिक महत्त्वाकांक्षी और बड़ी लागत की सूचना एकत्रीकरण परियोजना है। लोगों के पास पीने का साफ पानी, या शौचालय, या खाना, या पैसा नहीं है मगर उनके पास चुनाव कार्ड या यूआइडी नंबर होंगे। क्या यह संयोग है कि इनफोसिस के पूर्व सीईओ नंदन नीलकेणी द्वारा चलाया जा रहा यूआइडी प्रोजेक्ट, जिसका प्रकट उद्देश्य ‘गरीबों को सेवाएं उपलब्ध करवाना’ है, आइटी उद्योग में बहुत ज्यादा पैसा लगाएगा जो आजकल कुछ परेशानी में है? (यूआइडी बजट का मोटा अंदाज भी भारत सरकार के वार्षिक शिक्षा खर्च से ज्यादा है। ) इतनी ज्यादा तादाद में नाजायज और ”पहचान रहित” – लोग जो झुग्गियों में रहने वाले हैं, खोमचे वाले हैं, ऐसे आदिवासी हैं जिनके पास भूमि के पट्टे नहीं- जनसंख्या वाले देश को ‘डिजीटलाइज’ करने का असर यह होगा कि उनका अपराधीकरण हो जायेगा, वे नाजायज से अवैध हो जायेंगे। योजना यह है कि एन्क्लोजर ऑफ कॉमंस का डिजिटल संस्करण तैयार किया जाए और लगातार सख्त होते जा रहे पुलिस राज्य के हाथों में अपार अधिकार सौंप दिए जाएं।
आंकड़ों का जुनून
आंकड़े जमा करने को लेकर नीलकेणी का जुनून बिल्कुल वैसा ही है जैसा डिजिटल आंकड़ा कोष, ‘संख्यात्मक लक्ष्यों’ और ‘विकास के स्कोरकार्ड’ को लेकर बिल गेट्स का जुनून है। मानो सूचना का अभाव ही विश्व में भूख का कारण हो न कि उपनिवेशवाद, कर्जा और विकृत मुनाफा-केंद्रित कॉर्पोरेट नीति।
Hamem madhya bharata ki envairanamentala aura soshala riimjiniyarimga ke bare mem sirpha vyapaka vidroha aura jamga ki vajaha se khabarem mila pati haim| sarakara koi suchana jari nahim karati| sare samajhauta-patra (emaoyu) gopaniya haim| midiya ke kucha hissom ne, madhya bharata mem jo kucha ho raha hai, usa ora sabaka dhyana akarshita karane ki koshisha ki hai| paramtu jyadatara masa-midiya isa karana kamajora pada़ jata hai ki usaki kamai ka adhikamsha hissa kaॉrporeta vij~napanom se ata hai| para aba to rahi sahi kasara bhi puri ho gai hai| midiya aura bada़e vyavasayom ke bicha ki vibhajaka rekha khataranaka dhamga se dhumdhalane lagi hai| jaisa ki hama dekha chuke haim, araaiela 27 tivi chainalom ka kariba-kariba malika hai| magara isaka ulta bhi sacha hai| kucha midiya gharanom ke aba sidhe-sidhe vyavasayika aura kaॉrporeta hita haim| udaharana ke lie, isa kshetra ke pramukha dainika samacharapatrom mem se eka – dainika bhaskara (aura yaha basa eka udaharana hai) – ke 13 rajyom mem chara bhashaom ke, jinamem himdi aura amgreji donom shamila haim, eka karoda़ 75 lakha pathaka haim| yaha 69 kampaniyom ka malika bhi hai jo khanana, urja utpadana, riyala esteta aura kapada़A udyoga se juda़e haim| chattisagadha़ uchcha-nyayalaya mem hala hi mem dayara ki gai eka yachika mem DI bi pavara limiteda (dainika bhaskara samuha ki kampaniyom mem se eka) para koyale ki eka khuli khadana ko lekara ho rahi jana-sunavai ke parinama ko prabhavita karane hetu kampani ki milkiyata vale akhabarom dvara ”janabujha kara, avaidha aura prabhavita karanevale tarike” apanane ka Aropa lagaya gaya| yaham yaha bata prasamgika nahim ki unhomne parinama ko prabhavita karane ki koshisha ki ya nahim| mudda yaha hai ki midiya gharane aisa karane ki sthiti mem hai| aisa karane ki takata bhi unake pasa hai| desha ke kanuna unhem aisi sthiti mem hone ki ijajata dete haim jo hitom ke gambhira takarava vali sthitiyam haim|
कॉर्पोरेट-अनुदान से चलने वाले फाउंडेशन समाज-विज्ञान और कला के सबसे बड़े धनदाता हैं जो ‘विकास अध्ययन’, ‘समुदाय अध्ययन’, ‘सांस्कृतिक अध्ययन’, ‘व्यवहारसंबंधी अध्ययन’ और ‘मानव अधिकार’ जैसे पाठ्यक्रमों के लिए अनुदान और छात्रवृत्तियां प्रदान करते हैं। जब अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने अपने दरवाजे अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए खोल दिए, तो लाखों छात्र, तीसरी दुनिया के संभ्रांतों के बच्चे, प्रवेश करने लगे। जो फीस का खर्चा वहन नहीं कर सकते थे उन्हें छात्रवृत्तियां दी गईं। आज भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में शायद ही कोई उच्च मध्यमवर्गीय परिवार होगा जिसमें अमेरिका में पढ़ा हुआ बच्चा न हो। इन्हीं लोगों के बीच से अच्छे विद्वान और अध्यापक ही नहीं आए हैं बल्कि प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, अर्थशास्त्री, कॉर्पोरेट वकील, बैंकर और नौकरशाह भी निकले हैं जिन्होंने अपने देशों की अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक कॉर्पोरेशनों के लिए खोलने में मदद की है।
जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने संरचनात्मक समायोजन या स्ट्रक्चरल एड्जस्टमेंट्स के लिए दबाव बनाया और सरकारों से स्वास्थ्य, शिक्षा, शिशु पालन और विकास के लिए सरकारी खर्च जबरदस्ती कम करवाया, तो एनजीओ सामने आये। सबकुछ के निजीकरण का मतलब सबकुछ का एनजीओकरण भी है। जिस तरह नौकरियां और आजीविकाएं ओझल हुई हैं, एनजीओ रोजगार का प्रमुख स्रोत बन गए हैं, उन लोगों के लिए भी जो उनकी सच्चाई से वाकिफ हैं। जरूरी नहीं कि सारे एनजीओ खराब हों। लाखों एनजीओ में से कुछ उत्कृष्ट और रैडिकल काम कर रहे हैं और सभी एनजीओ को एक ही तराजू से तौलना हास्यास्पद होगा। परन्तु कॉर्पोरेट या फाउंडेशनों से अनुदान प्राप्त एनजीओ वैश्विक वित्त की खातिर प्रतिरोध आंदोलनों को खरीदने का तरीका बन गए हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे शेयरहोल्डर कंपनियों के शेयर खरीदते हैं और फिर उन्हें अंदर से नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। वे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अथवा सेंट्रल नर्वस सिस्टम के बिंदुओं की तरह विराजमान हैं, उन रास्तों की तरह जिन पर वैश्विक वित्त प्रवाहित होता है। वे ट्रांसमीटरों, रिसीवरों, शॉक एब्जॉर्बरों की तरह काम करते हैं, हर आवेग के प्रति चौकस होते हैं, सावधानी बरतते हैं कि मेजबान देश की सरकारों को परेशानी न हो। (फोर्ड फाउंडेशन जिन संस्थाओं को पैसा देता है उनसे प्रतिज्ञापत्र पर दस्तखत करवाता है जिनमें ये सब बातें होती हैं)। अनजाने में (और कभी-कभी जानबूझकर), वे जासूसी चौकियों की तरह काम करते हैं, उनकी रपटें और कार्यशालाएं और दीगर मिशनरी गतिविधियां और अधिक सख्त होते राज्यों की और अधिक आक्रामक होती निगरानी व्यवस्था को आंकड़े पहुंचाते हैं। जितना अशांत क्षेत्र होगा, उतने अधिक एनजीओ वहां काम करते पाए जायेंगे।
शरारती ढंग से जब सरकार या कॉर्पोरेट प्रेस नर्मदा बचाओ आंदोलन या कुडनकुलम आणविक संयंत्र के विरोध जैसे असली जनांदोलनों की बदनामी का अभियान चलाना चाहते हैं, तो वे आरोप लगाते हैं कि ये जनांदोलन ‘विदेशी वित्तपोषित’ प्राप्त एनजीओ हैं। उन्हें भली-भांति पता है कि अधिकतर एनजीओ को, खासकर जिन्हें अच्छी राशि मिलती है, को कॉर्पोरेट वैश्वीकरण को बढ़ावा देने का आदेश मिला हुआ है न कि उसमें रोड़े अटकाने का।
अपने अरबों डॉलर के साथ इन एनजीओ ने दुनिया में अपनी राह बनाई है, भावी क्रांतिकारियों को वेतनभोगी एक्टिविस्टों में बदलकर, कलाकारों, बुद्धिजीवियों और फिल्मकारों को अनुदान देकर, उन्हें हौले से फुसलाकर उग्र मुठभेड़ से परे ले जाकर, बहुसंस्कृतिवाद, जेंडर, सामुदायिक विकास की दिशा में प्रवेश कराकर- ऐसा विमर्श जो पहचान की राजनीति और मानव अधिकारों की भाषा में बयां किया जाता है।
न्याय की संकल्पना का मानव अधिकारों के उद्योग में परिवर्तन एक ऐसा वैचारिक तख्तापलट रहा है जिसमें एनजीओ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मानव अधिकारों का संकीर्ण दृष्टि से बात करना एक अत्याचार-आधारित विश्लेषण की राह बनाता है जिसमें असली सूरत छुपाई जा सकती है और संघर्षरत दोनों पक्षों को- मसलन, माओवादी और भारत सरकार, या इजराइली सेना और हमास- दोनों को मानव अधिकारों के उल्लंघन के नाम पर डांट पिलाई जा सकती है। खनिज कॉर्पोरेशनों द्वारा जमीन कब्जाना या इजरायली राज्य द्वारा फिलिस्तीनी भूमि को कब्जे में करना, ऐसी बातें फुटनोट्स बन जाती हैं जिनका विमर्श से बहुत थोड़ा संबंध होता है। कहने का मतलब यह नहीं कि मानव अधिकारों की कोई अहमियत नहीं। अहमियत है, पर वे उतना अच्छा प्रिज्म नहीं हैं जिसमें से हमारी दुनिया की भयानक नाइंसाफियों को देखा जाए या किंचित भी समझा जाए।
नारीवाद का भटकाव
महिलाओं के आंदोलन के एनजीओकरण ने पश्चिमी उदार नारीवाद को (सबसे ज्यादा वित्तपोषित होने के कारण) नारीवाद क्या होता है का झंडाबरदार बना दिया है। लड़ाइयां, हमेशा की तरह, महिलाओं की देह को लेकर लड़ी गईं, एक सिरे पर बोटोक्स को खींच कर और दूसरे पर बुर्के को। (और फिर वे भी हैं जिन पर बोटोक्स और बुर्के की दोहरी मार पड़ती है।) जब महिलाओं को जबरदस्ती बुर्के से बाहर लाने की कोशिश की जाती है, जैसा कि हाल ही में फ्रांस में हुआ, बजाय यह करने के कि ऐसी परिस्थितियां निर्मित की जाएं कि महिलाएं खुद चुनाव कर पाएं कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं, तब बात उसे आजाद करने की नहीं उसके कपड़े उतारने की हो जाती है। यह अपमान और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद का काम हो जाता है। बात बुर्के की नहीं है। बात जबरदस्ती की है। महिलाओं को जबरदस्ती बुर्के से बाहर निकालना वैसा ही है जैसे उन्हें जबरदस्ती बुर्का पहनाना। जेंडर को इस तरह देखना, मतलब सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ के बिना, उसे पहचान का मुद्दा बना देता है, सिर्फ पहनावे और दिखावे की चीजों की लड़ाई। यही वह था जिसने अमेरिकी सरकार को 2001 में अफगानिस्तान पर हमला करते समय पश्चिमी महिलावादी समूहों की नैतिक आड़ लेने का मौका दिया। अफगानी औरतें तालिबान के राज में भयानक मुश्किलों में थीं (और हैं)। मगर उन पर बम बरसा कर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होने वाला था।
एनजीओ जगत में, जिसने अपनी अनोखी दर्दनिवारक भाषा तैयार कर ली है, सब कुछ एक विषय बन गया है, एक अलग, पेशेवरी, विशेष अभिरुचि वाला मुद्दा। सामुदायिक विकास, नेतृत्व विकास, मानव अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रजननीय अधिकार, एड्स, एड्स से संक्रमित अनाथ बच्चे- इन सबको अपने-अपने कोटर में हवाबंद कर दिया गया है और जिनके अपने-अपने विस्तृत और स्पष्ट अनुदान नियम हैं। फंडिंग ने एकजुटता को इस तरह टुकड़े-टुकड़े कर दिया है जैसा दमन कभी नहीं कर पाया। गरीबी को भी, महिलावाद की तरह, पहचान की समस्या के तौर पर गढ़ा जाता है। मानो गरीब अन्याय से तैयार नहीं हुए बल्कि वे कोई खोई हुई प्रजाति हैं जो अस्तित्व में हैं, और जिनका अल्पकालिक बचाव समस्या निवारण तंत्र (एनजीओ द्वारा व्यक्तिगत आपसी आधार पर संचालित) द्वारा किया जा सकता है और दीर्घकालिक बचाव सुशासन या गुड गवर्नंस से होगा। वैश्विक कॉर्पोरेट पूंजीवाद के शासनकाल में यह बोल कर बताने की जरूरत नहीं।
गरीबी की चमक
भारतीय गरीबी, जब भारत ‘शाइन’ कर रहा था उस दौरान कुछ थोड़े वक्त के नेपथ्य में चले जाने के बाद , फिर से कला के क्षेत्र में आकर्षक विषय के तौर पर लौट आई है, इसका नेतृत्व स्लमडॉग मिलियनेयर जैसी फिल्में कर रही हैं। गरीबों, उनकी गजब की जीजीविषा और गिरकर उठने की क्षमता की इन कहानियों में कोई खलनायक नहीं होते – सिवाय छोटे खलनायकों के जो नेरेटिव टेंशन और स्थानिकता का पुट देते हैं। इन रचनाओं के लेखक पुराने जमाने के नृशास्त्रियों के आज के समानधर्मा जैसे हैं, जो ‘जमीन’ पर काम करने के लिए, अज्ञात की अपनी साहसिक यात्राओं के लिए सराहे जाते और सम्मान पाते हैं। आप को इन तरीकों से अमीरों की जांच-परख शायद ही कभी देखने को मिले।
ये पता कर लेने के बाद कि सरकारों, राजनीतिक दलों, चुनावों, अदालतों, मीडिया और उदारवादी विचार का बंदोबस्त किस तरह किया जाये, नव-उदारवादी प्रतिष्ठान के सामने एक और चुनौती थी: बढ़ते असंतोष, ‘जनता की शक्ति’ के खतरे से कैसे निबटा जाए? उसे वश में किया जाए? विरोधकर्ताओं को पालतुओं में कैसे बदलें? जनता के क्रोध को किस तरह खींचा जाए और अंधी गलियों की ओर मोड़ दिया जाये?
इस मामले में भी फाउंडेशनों और उनके आनुषंगिक संगठनों का लंबा और सफल इतिहास है। साठ के दशक में अमेरिका में अश्वेतों के सिविल राइट्स मूवमेंट (नागरिक अधिकार या समानता के आंदोलन) की हवा निकालना और उसे नरम करने और ‘ब्लैक पावर’ (अश्वेत शक्ति)के ‘ब्लैक कैपिटलिज्म’ (अश्वेत पूंजीवाद) में यशस्वी रूपांतरण में उनकी भूमिका इस बात का प्रमुख उदाहरण है।
जे डी रॉकफेलर के आदर्शों के अनुसार रॉकफेलर फाउंडेशन ने मार्टिन लूथर किंग सीनियर (मार्टिन लूथर किंग जूनियर के पिता) के साथ मिलकर काम किया। मगर स्टूडेंट नॉनवायलेंट कोआर्डिनेशन कमेटी (एसएनसीसी या छात्र अहिंसक समन्वय समिति) और ब्लैक पैंथर्स (काले चीते) जैसे अधिक आक्रामक संगठनों के उभरने के बाद उनका प्रभाव कम हो गया। फोर्ड और रॉकफेलर फाउंडेशन दाखिल हुए। 1970 में उन्होंने अश्वेतों के ‘नरम’ संगठनों को डेढ़ करोड़ डॉलर दिए। यह लोगों को अनुदान, फेलोशिप, छात्रवृत्तियां, पढ़ाई छोड़ चुके लोगों के लिए रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम और कालों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए प्रारंभिक धन के रूप में मिले। दमन, आपसी झगड़े और पैसों के जाल ने रेडिकल अश्वेत आंदोलन को धीरे-धीरे कुंद कर दिया।
Bahuta salom bada yaha vichara bamgladesha ke daridra dehati kshetra mem ‘Trikala dauna’ (risakara) hokara pahumcha jaba muhammada yunusa aura gramina baimka ne bhukhe marate kisanom ko maikrokredita (laghu vitta) upalabdha karavaya jisake vinashakari parinama hue| bharata mem laghuvitta kampaniyam saikada़om atmahatyaom ke lie jimmedara haim- sirpha 2010 mem hi amdhra pradesha mem 240 logom ne khudakushi ki| hala hi mem eka rashtriya dainika ne eka aisi atharaha varshiya lada़ki ka khudakushi karane se pahale likha patra prakashita kiya tha jise usake pasa bache akhiri 150 rupae, jo usaki skula ki phisa thi, laghuvitta kampani ke gumdai karane vale karmachariyom ko dene para majabura hona pada़A| usa patra mem likha tha, ‘mehanata karo aura paisa kamao| karja mata lo| ‘
Garibi mem bahuta paisa hai, aura chamda nobela puraskara bhi|
Svayamseva ka marga
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मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, नस्लवाद और वियतनाम युद्ध के निषिद्ध संबंध को चिह्नित किया था। परिणामस्वरूप उनकी हत्या के बाद उनकी स्मृति तक सुव्यवस्था के लिए विषभरा खतरा बन गई। फाउंडेशनों और कॉर्पोरेशनों ने उनकी विरासत को नया रूप देने के लिए काफी मेहनत की ताकि वह मार्केट-फ्रेंडली स्वरूप में फिट हो सके। फोर्ड मोटर कंपनी, जनरल मोटर्स, मोबिल, वेस्टर्न इलेक्ट्रिक, प्रॉक्टर एंड गैंबल, यूएस स्टील, मोंसैंटो और कई दूसरों ने मिलकर 20 लाख डॉलर के क्रियाशील अनुदान के साथ द मार्टिन लूथर किंग जूनियर सेंटर फॉर नॉनवाइलेंट सोशल चेंज (मार्टिन लूथर किंग जूनियर अहिंसक सामाजिक बदलाव केंद्र) की स्थापना की। यह सेंटर किंग पुस्तकालय चलाता है और नागरी अधिकार आंदोलन के पुरालेखों का संरक्षण करता है। यह सेंटर जो बहुत सारे कार्यक्रम चलाता है उनमें कुछ प्रोजेक्ट ऐसे रहे हैं जिनमें उन्होंने ‘अमेरिकी रक्षा विभाग (यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस), आम्र्ड फोर्सेस चैप्लेंस बोर्ड (सशस्त्र सेना पुरोहित बोर्ड) और अन्यों के साथ मिलकर काम किया है’। यह मार्टिन लूथर किंग जूनियर व्याख्यान माला ‘द फ्री इंटरप्राइज सिस्टम : एन एजेंट फॉर नॉनवाइलेंट सोशल चेंज’ (मुक्त उद्यम व्यवस्था: अहिंसक सामाजिक बदलाव के लिए एक कारक) विषय पर सहप्रायोजक था।
ऐसा ही तख्तापलट दक्षिण अफ्रीका के रंग-भेद विरोधी संघर्ष में करवाया गया। 1978 में रॉकफेलर फाउंडेशन ने दक्षिण अफ्रीका के प्रति अमेरिकी नीति को लेकर एक अध्ययन आयोग का गठन किया। रिपोर्ट ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) में सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव के बारे चेताया और कहा कि सभी नस्लों के बीच राजनीतिक सत्ता की सच्ची हिस्सेदारी हो, यही अमेरिकी के सामरिक और कॉर्पोरेट हितों (अर्थात दक्षिण अफ्रीका के खनिजों तक पहुंच) के लिए शुभ यही होगा।
फाउंडेशनों ने एएनसी की सहायता करना शुरू कर दिया। जल्द ही एएनसी स्टीव बीको की ब्लैक कॉन्शसनेस मूवमेंट (अश्वेत चेतना आंदोलन) जैसे अधिक रैडिकल आंदोलनों पर चढ़ बैठी और उन्हें कमोबेश खत्म कर के छोड़ा। जब नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने तो उन्हें जीवित संत घोषित कर दिया गया, सिर्फ इसलिए नहीं कि वह 27 साल जेल में बिता चुके स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि इसलिए कि उन्होंने वाशिंगटन समझौते को पूरी तरह स्वीकार कर लिया था। एएनसी के एजेंडे से समाजवाद पूरी तरह गायब हो गया। दक्षिण अफ्रीका के बहुप्रशंसित महान ‘शांतिपूर्ण परिवर्तन’ का मतलब था कोई भूमि सुधार नहीं, कोई क्षतिपूर्ति नहीं, दक्षिण अफ्रीका की खानों का राष्ट्रीयकरण भी नहीं। इसकी जगह हुआ निजीकरण और संरचनात्मक समायोजन। मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका के सर्वोच्च नागरी अलंकरण -द ऑर्डर ऑफ गुड होप – से इंडोनेशिया में कम्युनिस्टों के हत्यारे,अपने पुराने समर्थक और मित्र जनरल सुहार्तो को सम्मानित किया। आज दक्षिण अफ्रीका में मर्सिडीज में घूमने वाले पूर्व रैडिकलों और ट्रेड यूनियन नेताओं का गुट देश पर राज करता है। और यह ब्लैक लिबरेशन (अश्वेत मुक्ति) के भरम को हमेशा बनाये रखने के लिए काफी है।
दलित पूंजीवाद की ओर
अमेरिका में अश्वेत शक्ति का उदय भारत में रैडिकल, प्रगतिशील दलित आंदोलन के लिए प्रेरणा का स्रोत था और दलित पैंथर जैसे संगठन ब्लैक पैंथर जैसे संगठनों की प्रतिबिंबन थे। लेकिन दलित शक्ति भी ठीक उसी तरह नहीं पर लगभग उन्हीं तौर-तरीकों से दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों और फोर्ड फाउंडेशन की खुली मदद से विभाजित और कमजोर कर दी गई है। यह अब दलित पूंजीवाद के रूप में बदलने की ओर बढ़ रही है।
पिछले साल दिसंबर में इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट थी: ‘दलित इनक्लेव रेडी टू शो बिजऩेस कैन बीट कास्ट’। इसमें दलित इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (डिक्की) के एक सलाहकार को उद्धृत किया गया था। ‘हमारे समाज में दलितों की सभा के लिए प्रधान मंत्री को लाना मुश्किल नहीं है। मगर दलित उद्यमियों के लिए टाटा या गोदरेज के साथ दोपहर के खाने पर या चाय पर एक तस्वीर खिंचवाना एक अरमान होता है – और इस बात का सबूत कि वे आगे बढ़ेहैं,’ उन्होंने कहा। आधुनिक भारत की परिस्थिति को देखते हुए यह कहना जातिवादी और प्रतिक्रियावादी होगा कि दलित उद्यमियों को नामी-गरामी उद्योगपतियों के साथ बैठने (हाई टेबल पर जगह पाने) की कोई जरूरत नहीं। मगर यह अभिलाषा, अगर दलित राजनीति का वैचारिक ढांचा होने लगी तो बड़े शर्म की बात होगी। और इस से उन करोड़ों दलितों को भी कोई मदद नहीं मिलेगी जो अब भी अपने हाथों से कचरा साफ करके जीविका चलाते हैं- अपने सिरों पर आदमी की विष्ठा ढोते हैं।
अंबेडकर को महसूस हुआ कि एक ऐसे समाज में जहां हिंदू शास्त्र छुआछूत और असमानता का संस्थाकरण करते हैं, वहां ‘अछूतों’ के लिए, उनके सामाजिक और नागरी अधिकारों के लिए तत्काल संघर्ष करना उस साम्यवादी क्रांति के इंतजार से कहीं ज्यादा जरूरी था जिसका आश्वासन था। अंबेडकरवादियों और वाम के बीच की दरार की दोनों ही पक्षों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। इसका मतलब यह निकला है कि दलित आबादी के बहुत बड़े हिस्से ने, जो भारत के मेहनतकश वर्ग की रीढ़ है, सम्मान और बेहतरी की अपनी उम्मीदें संविधानवाद, पूंजीवाद और बसपा जैसे राजनीतिक दलों से लगा ली हैं, जो पहचान की राजनीति के उस ब्रांड का पालन करते हैं जो महत्त्वपूर्ण तो है पर दीर्घकालिक तौर पर गतिहीन है।
अमेरिका में, जैसा कि हमने देखा, कॉर्पोरेट-अनुदानित फाउंडेशनों ने एनजीओ संस्कृति को जन्म दिया। भारत में लक्ष्य बना कर किए जाने वाले कॉर्पोरेट परोपकार की गंभीरतापूर्वक शुरूआत नब्बे के दशक में, नई आर्थिक नीतियों के युग में हुई। स्टार चेंबर की सदस्यता सस्ते में नहीं मिलती। टाटा समूह ने उस जरूरतमंद संस्थान, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, को पांच करोड़ डॉलर और कॉर्नेल विश्वविद्यालय को भी पांच करोड़ डॉलर दान किए। इनफोसिस के नंदन निलकेणी और उनकी पत्नी रोहिणी ने 50 लाख डॉलर येल विश्वविद्यालय के इंडिया इनिशिएटिव को शुरूआती निधि के तौर पर दान किए। महिंद्रा समूह द्वारा अब तक का सबसे बड़ा एक करोड़ डॉलर का अनुदान पाने के बाद हार्वर्ड ह्युमैनिटीज सेंटर का नाम अब महिंद्रा ह्युमैनिटीज सेंटर हो गया है।
यहां पर जिंदल समूह, जिसके खनन, धातु और ऊर्जा में बड़े निवेश हैं, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल चलाता है और जल्द ही जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी शुरू करने वाला है। (फोर्ड फाउंडेशन कांगो में एक विधि महाविद्यालय चलाता है।) इनफोसिस के मुनाफों से मिले पैसे से चलने वाला नंदन नीलकेणी द्वारा अनुदानित द न्यू इंडिया फाउंडेशन समाज विज्ञानियों को पुरस्कार और फेलोशिप देता है। ग्रामीण विकास, गरीबी निवारण, पर्यावरण शिक्षा और नैतिक उत्थान के क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए जिंदल एल्युमिनियम से अनुदान प्राप्त सीताराम जिंदल फाउंडेशन ने एक-एक करोड़ रुपए के पांच नगद पुरस्कारों की घोषणा की है। रिलायंस समूह का ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओ.आर.एफ.), जिसे फिलहाल मुकेश अंबानी से धन मिलता है, रॉकफेलर फाउंडेशन के अंदाज में ढला है। इससे रिसर्च ‘फेलो’ और सलाहकारों के तौर पर गुप्तचर सेवाओं के सेवा निवृत्त एजेंट, सामरिक विश्लेषक, राजनेता (जो संसद में एक दूसरे के खिलाफ होने का नाटक करते हैं), पत्रकार और नीति निर्धारक जुड़े हैं।
Siephaara ka amtarrashtriya samatulya hai tina ayami Ayoga, jisaki sthapana 1973 mem devida raॉkaphelara, amerika ke purva rashtriya suraksha salahakara jbignyepha brajinski (aphagana mujahiddina arthata talibana ke purvaja ka samsthapaka-sadasya), cheja-mainahatana baimka aura kucha anya niji pratishthanom ne milakara ki thi| isaka uddeshya tha uttari amerika, yoropa aura japana ke abhijatom ke bicha maitri aura sahakarya ka eka chirasthayi bamdhana taiyara karana| ye aba eka pamchakoniya Ayoga bana gaya hai kyomki isamem aba bharata aura china ke sadasya bhi shamila haim| (siaiai ke taruna dasa; inaphosisa ke purva-siio ena.Ara.narayanamurti; godareja ke prabamdha nideshaka jamasheda ena. Godareja, TATA samsa ke nideshaka jamasheda je. Irani; aura avamta samuha ke siio gautama thapara)|
Da aispana imstityuta sthaniya abhijatom, vyavasayikom, naukarashahom, rajanitikom ka eka amtarrashtriya klaba hai jisaki shakhaem bahuta se deshom mem haim| aispana imstityuta ki bharatiya shakha ke adhyaksha taruna dasa haim| gautama thapara sabhapati haim| maikamji globala imstityuta (dilli-mumbai audyogika galiyare ke prastavaka) ke kai varishtha padadhikari siephaara ke, trailaitarala kamishana ke, aura da aispana imstityuta ke sadasya haim|
ओ.आर.एफ. के उद्देश्य बड़े साफ-साफ प्रतीत होते हैं: ‘आर्थिक सुधारों के पक्ष में आम सहमति तैयार करने हेतु सहायता करना। ‘ और ‘पिछड़े जिलों में रोजगार निर्मिति और आणविक, जैविक और रसायनिक खतरों का सामना करने के लिए समयोचित कार्यनीतियां बनाने जैसे विविध क्षेत्रों में व्यवहार्य और पर्यायी नीतिगत विकल्प तैयार करके’ आम राय को आकार देना और उसे प्रभावित करना।
ओ.आर.एफ. के घोषित उद्देश्यों में ‘आणविक, जैविक और रसायनिक युद्ध’ को लेकर अत्यधिक चिंता देखकर मैं शुरू में चक्कर में पड़ गई। मगर उसके ‘संस्थागत सहयोगियों’ की लंबी सूची में रेथियोन और लॉकहीड मार्टिन जैसे नाम देख कर हैरानी कम हुई। ये दोनों कंपनियां दुनिया की प्रमुख हथियार निर्माता हैं। 2007 में रेथियोन ने घोषणा की कि वे अब भारत पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। क्या यह इसलिए है कि भारत के 3,200 करोड़ डॉलर के रक्षा बजट का कुछ हिस्सा रेथियोन और लॉकहीड मार्टिन द्वारा तैयार हथियारों, गाइडेड मिसाइलों, विमानों, नौसेना के जहाजों और निगरानी उपकरणों पर खर्च होगा?
हथियार क्यों चाहिए?
हथियारों की जरूरत जंग लडऩे के लिए होती है? या जंगों की जरूरत हथियारों के लिए बाजार तैयार करने के लिए होती है? जो भी हो योरोप, अमेरिका और इजऱाइल की अर्थव्यवस्थाएं बहुत कुछ उनके हथियार उद्योग पर निर्भर हैं। यही वह चीज है जो उन्होंने चीन को आउटसोर्स नहीं की।
अमेरिका और चीन के बीच के शीत युद्ध में भारत को उस भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है जो रूस के साथ शीत युद्ध में पाकिस्तान ने अमेरिका के सहयोगी के तौर पर निभाई थी। (देख लीजिये पाकिस्तान का हाल क्या हुआ। ) भारत और चीन के बीच के लड़ाई-झगड़ों को जो स्तंभकार और ‘रणनीतिक विश्लेषक’ बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं, देखा जाए तो उनमें से कई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इंडो-अमेरिकन थिंक टैंकों और फाउंडेशनों से जुड़े पाए जायेंगे। अमेरिका के ‘सामरिक सहयोगी’ होने का यह मतलब नहीं कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष एक दूसरे को हमेशा दोस्ताना फोन कॉल करते रहें। इस का मतलब है हर स्तर पर सहयोग (हस्तक्षेप)। इसका मतलब है भारत की जमीन पर अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस की मेजबानी करना (पेंटागन के एक कमांडर ने हाल ही में बीबीसी से इस बात की पुष्टि की)। इसका अर्थ है गुप्त सूचनाएं साझा करना, कृषि और ऊर्जा-संबंधी नीतियों में बदलाव करना, वैश्विक निवेश हेतु स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों को खोलना। इसका अर्थ है खुदरा क्षेत्र को खोलना। इसका मतलब है गैर-बराबर हिस्सेदारी जिसमें भारत को उसके साथी द्वारा मजबूत बांहों में भरकर डांस फ्लोर पर नचाया जा रहा है और उसके नाचने से मना करते ही उसे भस्म कर दिया जाएगा।
ओ.आर.एफ. के ‘संस्थागत सहयोगियों’ की सूची में आपको रैंड कॉर्पोरेशन, फोर्ड फाउंडेशन, विश्व बैंक, ब्रूकिंग्स इंस्टिट्यूशन (जिनका घोषित मिशन है ‘ऐसी अभिनव एवं व्यावहारिक अनुशंसाएं करना जो तीन वृहत लक्ष्यों को आगे बढ़ाये: अमेरिकी लोकतंत्र को मजबूत करना; सभी अमेरिकियों का आर्थिक और सामाजिक कल्याण, सुरक्षा और अवसर को बढ़ावा देना; और अधिक उदार, सुरक्षित, समृद्ध और सहकारात्मक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अर्जित करना’। ) उस सूची में आपको जर्मनी के रोजा लक्जमबर्ग फाउंडेशन का नाम भी मिलेगा। (बेचारी रोजा, जिन्होंने साम्यवाद के ध्येय के लिए अपनी जान दी उनका नाम ऐसी सूची में!)
हालांकि पूंजीवाद प्रतिस्पर्धा पर आधारित होता है, मगर खाद्य श्रंखला के शीर्ष पर बैठे हुए लोगों ने दिखाया है कि वे सबको मिलाकर चलने और एकजुटता दिखाने में समर्थ हैं। महान पश्चिमी पूंजीपतियों ने फासिस्टों, समाजवादियों, निरंकुश सत्ताधीशों और सैनिक तानाशाहों के साथ धंधा किया है। वे लगातार अपने आप को अनुकूलित कर सकते हैं और नए तरीके निकाल सकते हैं। वे तुरंत विचार करने और अपरिमित नीतिगत चतुराई में माहिर हैं।
मगर आर्थिक सुधारों के माध्यम से सफलतापूर्वक आगे बढऩे, मुक्त बाजार ‘लोकतंत्र’ बिठाने के लिए लड़ाइयां छेडऩे और देशों पर सैन्य कब्जे जमाने के बावजूद, पूंजीवाद एक ऐसे संकट से गुजऱ रहा है जिसकी गंभीरता अभी तक पूरी तरह सामने नहीं आई है। मार्क्स ने कहा था, ‘ इसलिए बुर्जुआ वर्ग जो उत्पादित करता है, उनमें सबसे ऊपर होते हैं उसकी ही कब्रखोदनेवाले। इनका पतन और सर्वहारा की विजय दोनों समान रूप से अपरिहार्य हैं। ‘
सर्वहारा वर्ग, जैसा कि मार्क्स ने समझा था, लगातार हमले झेलता रहा है। फैक्टरियां बंद हो गई हैं, नौकरियां छूमंतर हो गई हैं, यूनियनें तोड़ डाली गई हैं। पिछले कई सालों से सर्वहारा को हर संभव तरीके से एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाता रहा है। भारत में यह हिंदू बनाम मुस्लिम। हिंदू बनाम ईसाई, दलित बनाम आदिवासी, जाति बनाम जाति, प्रदेश बनाम प्रदेश रहा है। और फिर भी, दुनिया भर में, सर्वहारा वर्ग लड़ रहा है। भारत में दुनिया के निर्धनतम लोगों ने कुछ समृद्धतम कॉर्पोरेशनों का रास्ता रोकने के लिए लड़ाई लड़ी है।
बढ़ता पूंजीवादी संकट
पूंजीवाद संकट में है। ट्रिकल-डाउन असफल हो गया है। अब गश-अप भी संकट में है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आपदा बढ़ती जा रही है। भारत की विकास दर कम होकर 6.9 प्रतिशत हो गई है। विदेशी निवेश दूर जा रहा है। प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेशन पैसों के विशाल ढेर पर बैठे हैं, समझ नहीं आ रहा है कहां पैसा निवेश करें, यह भी समझ नहीं आ रहा कि वित्तीय संकट कैसे खत्म होगा। वैश्विक पूंजी के भीमकाय रथ में यह एक प्रमुख संरचनात्मक दरार है।
Raha chalatom mem (aura nyuyarka taimsa mem bhi) charcha ka vishaya hai, ya kama-aja-kama tha, ki itani mashakkata aura bagavani ke bada ambani parivara emtila mem nahim rahata| pakki khabara kisi ko nahim| loga aba bhi bhutom aura apashakuna, vastu aura phemgashui ke bare mem kanaphusiyam karate haim| ya shayada ye saba karla marksa ki galati hai| unhomne kaha tha, pumjivada ne ‘apane jadu se utpadana ke aura vinimaya ke aise bhimakaya sadhana khada़e kara die haim, ki usaki halata usa jadugara jaisi ho gai hai jo una patala ki shaktiyom ko kabu karane mem sakshama nahim raha hai jinhem usi ne apane Tone se bulaya tha| ‘
Bharata mem, hama 30 karoda़ loga jo nae, uttara-Aiemaepha (amtarrashtriya mudra kosha) ‘Arthika sudhara’ madhya varga ka hissa haim unake lie – bajara – patalavasi atmaom, mrrita nadiyom ke sukhe kuom, gamje pahada़om aura niravrrita vanom ke kolahalakari pishacha satha-satha rahate haim: karja mem dube dhai lakha kisanom ke bhutom jinhomne khuda apani jana le li thi, aura ve 80 karoda़ jinhem hamare lie rasta banane hetu aura gariba kiya gaya aura nikala gaya ke satha-satha rahate haim jo bisa rupae prati dina se kama mem gujara karate haim|
Mukesha ambani vyaktigata taura para 2,000 karoda़ daॉlara (yaham tatparya ameriki se), jo mote taura para 10 lakha karoda़ rupae se jyada hi hota hai, ke malika haim| rilayamsa imdastrija limiteda (araaiela), 4,700 karoda़ daॉlara (ru. 23,5000 karoda़) ki marketa kaipitalaijeshana vali aura vaishvika vyavasayika hitom, jinamem petrokemikalsa, tela, prakrritika gaisa, paॉlistara dhaga, vishesha Arthika kshetra, phresha phuda ritela, hai skula, jaivika vij~nana anusamdhana, aura mula koshika samchayana sevaom (stema saila storeja sarviseja) shamila haim, mem ve bahutamsha niyamtraka hissa rakhate haim| araaiela ne hala hi mem imphotela ke 95 pratishata sheyara kharide haim| imphotela eka telivijana samkaya (kamjortiyama) hai jisaka 27 tivi samachara aura manoramjana chainalom para niyamtrana hai inamem sienaena-aibiena, aibiena laiva, sienabisi,aibiena lokamata aura lagabhaga hara kshetriya bhasha ka itivi shamila hai| imphotela ke pasa phora-ji braॉdabaimda ka ikalauta akhila bharatiya laisemsa hai; phora-ji braॉdabaimda ”tivragati suchana samparka vyavastha(paipa laina)” hai jo, agara takanika kama kara gai to, bhavishya ka suchana eksachemja sabita ho sakati hai| shrimana ambani ji eka kriketa tima ke bhi malika haim|
आरआइएल उन मुट्ठी भर निगमों (कॉर्पोरेशनों) में एक है जो भारत को चलाते हैं। दूसरे निगम हैं टाटा, जिंदल, वेदांता, मित्तल, इंफोसिस, एसार और दूसरी रिलायंस (अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप अर्थात एडीएजी) जिसके मालिक मुकेश के भाई अनिल हैं। विकास के लिए उनकी दौड़ योरोप, मध्य एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका तक पहुंच गई है। उन्होंने दूर-दूर तक जाल फैलाए हुए हैं; वे दृश्य हैं और अदृश्य भी, जमीन के ऊपर हैं और भूमिगत भी। मसलन, टाटा 80 देशों में 100 से ज्यादा कंपनियां चलाते हैं। वे भारत की सबसे पुरानी और विशालतम निजी क्षेत्र की बिजली पैदा करनेवाली कंपनियों में से हैं। वे खदानों, गैस क्षेत्रों, इस्पात प्लांटों, टेलीफोन, केबल टीवी और ब्रॉडबैंड नेटवर्क के मालिक हैं और समूचे नगरों को नियंत्रित करते हैं। वे कार और ट्रक बनाते हैं, ताज होटल श्रंखला, जगुआर, लैंड रोवर, देवू, टेटली चाय, प्रकाशन कंपनी, बुकस्टोर श्रंखला, आयोडीन युक्त नमक के एक बड़े ब्रांड और सौंदर्य प्रसाधन की दुनिया के बड़े नाम लैक्मे के मालिक हैं। आप हमारे बिना जी नहीं सकते: बड़े आराम से उनके विज्ञापन की यह टैगलाइन हो सकती है।
ऊपर को बढ़ो वचनामृत के अनुसार, आप के पास जितना ज्यादा है, उतना ही ज्यादा आप और पा सकते हैं।
कारोबारियों का साकार होता सपना
हर चीज के निजीकरण के युग ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना दिया है। फिर भी, किसी पुराने ढंग के अच्छे उपनिवेश की भांति, इसका मुख्य निर्यात इसके खनिज ही हैं। भारत के नए भीमकाय निगम (मेगा-कॉर्पोरेशन) – टाटा, जिंदल, एसार, रिलायंस, स्टरलाइट – वे हैं जो धक्कामुक्की करके उस मुहाने तक पहुंच गए हैं जो गहरे धरती के अंदर से निकाला गया पैसा उगल रहे हैं। कारोबारियों का तो जैसे सपना साकार हो रहा है – वे वह चीज बेच रहे हैं जो उन्हें खरीदनी नहीं पड़ती।
Araaiela una mutthi bhara nigamom (kaॉrporeshanom) mem eka hai jo bharata ko chalate haim| dusare nigama haim TATA, jimdala, vedamta, mittala, imphosisa, esara aura dusari rilayamsa (anila dhirubhai ambani grupa arthata edieji) jisake malika mukesha ke bhai anila haim| vikasa ke lie unaki dauda़ yoropa, madhya eshiya, aphrika aura latina amerika taka pahumcha gai hai| unhomne dura-dura taka jala phailae hue haim; ve drrishya haim aura adrrishya bhi, jamina ke Upara haim aura bhumigata bhi| masalana, TATA 80 deshom mem 100 se jyada kampaniyam chalate haim| ve bharata ki sabase purani aura vishalatama niji kshetra ki bijali paida karanevali kampaniyom mem se haim| ve khadanom, gaisa kshetrom, ispata plamtom, teliphona, kebala tivi aura braॉdabaimda netavarka ke malika haim aura samuche nagarom ko niyamtrita karate haim| ve kara aura Traka banate haim, taja hotala shramkhala, jaguara, laimda rovara, devu, tetali chaya, prakashana kampani, bukastora shramkhala, ayodina yukta namaka ke eka bada़e bramda aura saumdarya prasadhana ki duniya ke bada़e nama laikme ke malika haim| Apa hamare bina ji nahim sakate: bada़e arama se unake vij~napana ki yaha taigalaina ho sakati hai|
Upara ko badha़o vachanamrrita ke anusara, Apa ke pasa jitana jyada hai, utana hi jyada Apa aura pa sakate haim|
Karobariyom ka sakara hota sapana
Hara chija ke nijikarana ke yuga ne bharatiya arthavyavastha ko duniya mem sabase teji se badha़ti arthavyavastha bana diya hai| phira bhi, kisi purane dhamga ke achche upanivesha ki bhamti, isaka mukhya niryata isake khanija hi haim| bharata ke nae bhimakaya nigama (mega-kaॉrporeshana) – TATA, jimdala, esara, rilayamsa, staralaita – ve haim jo dhakkamukki karake usa muhane taka pahumcha gae haim jo gahare dharati ke amdara se nikala gaya paisa ugala rahe haim| karobariyom ka to jaise sapana sakara ho raha hai – ve vaha chija becha rahe haim jo unhem kharidani nahim pada़ti|
बहुलतावाद का मुखौटा
सभी अच्छे साम्राज्यवादियों की तरह परोपकारीजनों ने अपने लिए ऐसा अंतर्राष्ट्रीय काडर तैयार और प्रशिक्षित करने का काम चुना जो इस पर विश्वास करे कि पूंजीवाद और उसके विस्तार के तौर पर अमेरिकी वर्चस्व उनके स्वयं के हित में है। और इसीलिए वे लोग ग्लोबल कॉर्पोरेट गवर्नमेंट को चलाने में वैसे ही मदद करें जैसे देशी संभ्रांतों ने हमेशा उपनिवेशवाद की सेवा की है। इसलिए फाउंडेशन शिक्षा और कला के क्षेत्रों में उतरे जो विदेश नीति और घरेलू आर्थिक नीति के बाद उनका तीसरा प्रभाव क्षेत्र बन गया। उन्होंने करोड़ों डॉलर अकादमिक संस्थानों और शिक्षाशास्त्र पर खर्च किए (और करते जा रहे हैं)।
अपनी अद्भुत पुस्तक फाउंडेशंस एंड पब्लिक पॉलिसी: द मास्क ऑफ प्ल्युरलिज्म में जोन रूलोफ्स बयां करती हैं कि किस तरह फाउंडेशनों ने राजनीति विज्ञान को कैसे पढ़ाया जाए इस विषय के पुराने विचारों में बदलाव कर ‘इंटरनेशनल’ (अंतर्राष्ट्रीय) और ‘एरिया’ (क्षेत्रीय) स्टडीज (अध्ययन) की विधाओं को रूप दिया। इसने अमेरिकी गुप्तचर और सुरक्षा सेवाओं को अपने रंगरूट भर्ती करने के लिए विदेशी भाषाओं और संस्कृति में विशेषज्ञता का एक पूल उपलब्ध करवाया। आज भी सीआइए और अमेरिकी विदेश मंत्रालय अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों और प्रोफेसरों के साथ काम करते हैं जो विद्वत्ता को लेकर गंभीर नैतिक सवाल खड़े करता है।
Kaॉrporeta sampatti ka dusara mukhya srota hai unaki bhumi ke bhamdara| duniya bhara mem kamajora aura bhrashta sthaniya sarakarom ne vaॉla strita ke dalalom, krrishi-vyavasaya vale nigamom aura chini arabapatiyom ko bhumi ke vishala patte hada़pane mem madada ki hai| (khaira isamem pani niyamtrana to shamila hai hi)| bharata mem lakhom logom ki bhumi adhigrahita karake niji kaॉrporeshanom ko – vishesha Arthika kshetrom (esaijeda), adharabhuta samrachana (inphrastrakchara) pariyojanaom, bamdha, rajamargom, kara nirmana, rasayana kemdrom, aura phaॉrmula vana resom ke lie ‘jana hitartha’ di ja rahi hai| (niji sampatti ki samvaidhanika pavitrata garibom ke lie kabhi lagu nahim hoti)| hara bara sthaniya logom se vade kie jate haim ki apani bhumi se unaka visthapana ya jo kucha bhi unake pasa hai usaka hathiyaya jana vastava mem rojagara nirmana ka hissa hai| magara aba taka hamem pata chala chuka hai ki sakala gharelu utpada ki dara mem vrriddhi aura naukariyom ka sambamdha eka chalava hai| 20 salom ke ‘vikasa’ ke bada bharata ki shramashakti ka satha pratishata abadi svarojagara mem lagi hai aura bharata ke shramikom ka 90 pratishata hissa asamgathita kshetra mem karya karata hai|
Bharata mem samane anevale hara nae bhrashtachara ke mamale ke samane usaka purvavarti phika lagane lagata hai| 2011 ki garmiyom mem TU-ji spektrama ghotala samane aya| pata chala ki kaॉrporeshanom ne eka madadagara sajjana ko kemdriya durasamchara mamtri banavakara chara hajara karoda़ daॉlara (do lakha karoda़) sarvajanika dhana kha liya, una mahodaya ne TU-ji durasamchara spektrama ki kimata behada kama karake amki aura apane yarom ke havale kara diya| presa mem lika hue teliphona Tepa sambhashanom ne bataya ki kaise udyogapatiyom ka netavarka aura unaki agra kampaniyam, mamtrigana, varishtha patrakara aura tivi emkara isa dinadahada़e vali dakaiti ki madada mem mubtila the| Tepa to basa eka emaaraai the jinhomne usa nidana ki pushti ki jo loga bahuta pahale kara chuke the|
Nijikarana aura durasamchara spektrama ki avaidha bikri mem yuddha, visthapana aura paristhitikiya vinasha shamila nahim haim| magara bharata ke parvatom, nadiyom aura vanom ke mamale mem aisa nahim hai| shayada isalie ki isamem khullamakhulla lekhapaddhati ghotale jaisi spashta saralata nahim hai, ya shayada isalie ki yaha saba bharata ke ‘vikasa’ ke nama para kiya ja raha hai, isa vajaha se madhya varga ke bicha isaki vaisi anugumja nahim hai|
Kaisa samyoga?
2005 mem chattisagadha़, odisha aura jharakhamda ki rajya sarakarom ne bahuta sare niji kaॉrporeshanom ke satha saikada़om samajhauta-patrom (emaoyu) para dastakhata kara mukta bajara ke vikrrita tarka ko bhi dhata batakara kharabom rupae ke baॉksaita, lauha ayaska aura anya khanija unhem kaudiय़om ke dama de die| (sarakari raॉyalti 0.5 pratishata se 7 pratishata ke bicha thi| )
TATA stila ke satha bastara mem eka ekikrrita ispata samyamtra ke nirmana ke lie chattisagadha़ sarakara ke samajhautapatra para dastakhata kie jane ke kucha hi dinom bada salava juड़uma namaka eka svayambhu sashastra ardhasainika bala ka udghatana hua| sarakara ne bataya ki salava juड़uma jamgala mem maovadi chapamarom ke ‘damana’ se trasta sthaniya logom ka svayamsphurta vidroha hai| salava juड़uma sarakara vitta aura shastrom se laisa tatha khanana nigamom se mili sabsidi prapta eka adharabhumi taiyara karane ka ऑpareshana nikala| digara rajyom mem digara namom vale aise hi ardhasainika bala khada़e kie gae | pradhanamamtri ne ghoshana ki ki maovadi ‘suraksha ke lie bharata mem ekamatra aura sabase bada़A khatara haim’| yaha jamga ka ailana tha|
2 janavari, 2006 ko pada़osi rajya odisha ke kalimganagara jile mem, shayada yaha batane ke lie ki sarakara apane iradom ko lekara kitani gambhira hai, TATA ispata karakhane ki dusari jagaha para pulisa ki dasa palatanem AIM aura una gamva valom para goli chala di jo vaham virodha pradarshana ke lie ikattha hue the| unaka kahana tha ki unhem jamina ke lie jo muavaja mila raha hai vaha kama hai| eka pulisakarmi sameta 13 loga mare gae aura saimtisa ghayala hue| Chaha sala bita chuke haim, yadyapi sashastra pulisa dvara gamva ki gherebamdi jari hai magara virodha thamda nahim pada़A hai|
अर्थशास्त्र और राजनीति-विज्ञान के फाउंडेशनों की ओर मित्रवत संस्करण के विद्वानों को फेलोशिप, अनुसंधान निधियों, अनुदानों और नौकरियों से नवाजा गया। जिनके विचार फाउंडेशनों की ओर मित्रवत नहीं थे उन्हें अनुदान नहीं मिले, हाशिये पर डाल अलग-थलग कर दिया गया और उनके पाठ्यक्रम बंद कर दिए गए। धीरे-धीरे एक खास तरह की सोच- एकमात्र सर्वआच्छादित और अत्यंत एकांगी आर्थिक विचारधारा की छत के नीचे सहिष्णुता और बहुसंस्कृतिवाद (जो क्षण भर में नस्लवाद, उन्मत्त राष्ट्रवाद, जातीय उग्रराष्ट्रीयता, युद्ध भड़काऊ इस्लामोफोबिया में बदल जाता है) का भुरभुरा और सतही दिखावा – विमर्श पर हावी होने लगा। ऐसा इस हद तक हुआ कि अब उसे एक विचारधारा के तौर पर देखा ही नहीं जाता। यह एक डीफॉल्ट पोजीशन बन गई है, एक प्राकृतिक अवस्था। उसने सामान्य स्थिति में घुसपैठ कर ली, साधारणता को उपनिवेशित कर लिया और उसे चुनौती देना यथार्थ को चुनौती देने जितना बेतुका या गूढ़ प्रतीत होने लगा। यहां से ‘और कोई विकल्प नहीं’ तक तुरंत पहुंचना एक आसान कदम था।
शुक्र है ऑक्युपाइ आंदोलन का कि अब जाकर अमेरिकी सड़कों और विश्वविद्यालयीन परिसरों में दूसरी भाषा नजऱ आई है। इस विपरीत परिस्थिति में ‘क्लास वार’ और ‘हमें आपके अमीर होने से दिक्कत नहीं, पर हमारी सरकार को खरीद लेने से दिक्कत है’ लिखे हुए बैनर उठाये छात्रों को देखना लगभग अपने आप में इंकलाब है।
अपनी शुरुआत के एक सदी बाद कॉर्पोरेट परोपकार कोका कोला की मानिंद हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। अब करोड़ों गैर-लाभ संस्थाएं हैं, जिनमें बहुत सारी जटिल वित्तीय नेटवर्क के द्वारा बड़े फाउंडेशनों से जुड़ी हुई हैं। इन सारी संस्थाओं को मिलाकर इस ‘स्वतंत्र’ सेक्टर की कुल परिसंपत्ति 45,000 करोड़ डॉलर है। उनमें सबसे बड़ा है बिल गेट्स फाउंडेशन (2,100 करोड़ डॉलर), उसके बाद लिली एन्डाउमेंट (1,600 करोड़ डॉलर) और द फोर्ड फाउंडेशन (1,500 करोड़ डॉलर)।
Isa bicha salava juduma chattisagadha़ mem vanom mem base saikada़om gamvom se Aga lagata, balatkara aura hatyaem karata badha़ta raha| isane 600 gamvom ko khali karavaya, 50,000 logom ko pulisa kaimpom mem Ane aura 350,000 logom ko bhaga jane ke lie vivasha kiya| mukhyamamtri ne ghoshana ki ki jo jamgalom se bahara nahim aemge unhem ‘maovadi ugravadi’ mana jayega| isa taraha, Adhunika bharata ke hissom mem, kheta jotane aura bija bone jaisi kamom ko atamkavadi gatividhiyom ke taura para paribhashita kiya gaya| kula mila kara salava juduma ke atyacharom ne maovadi chapamara sena ke samkhyabala mem badha़ottari aura pratirodha mem majabuti lane mem madada ki| sarakara ne 2009 mem vaha shuru kiya jise ऑpareshana grina hamta kaha jata hai| chattisagadha़, odisha, jharakhamda aura pashchima bamgala mem ardhasainika balom ke do lakha javana tainata kie gae|
Tina varsha taka chale ‘kama tivrata samgharsha’ ke bada jo bagiyom ko jamgalom se bahara ‘phlasha’ (eka jhatake mem bahara nikalane) karane mem kamayaba nahim ho paya, kemdra sarakara ne ghoshana ki ki vaha bharatiya sena aura vayu sena tainata karegi| bharata mem hama ise jamga nahim kahate| hama ise ‘nivesha ke lie achchi sthitiyam taiyara karana’ kahate haim| hajarom sainika pahale hi A chuke haim| brigeda mukhyalaya aura sainya havai adde taiyara kie ja rahe haim| duniya ki sabase bada़I senaom mem se eka sena aba duniya ke sabase gariba, sabase bhukhe, aura sabase kuposhita logom se apani ‘raksha’ karane ke lie lada़AI ki shartem (Tarmsa ऑpha emgejamemta) taiyara kara rahi hai| aba mahaja armda phorsesa speshala pavarsa ekta (eephaesapie) ke lagu hone ka imtajara hai, jo sena ko kanuni chuta aura ‘shaka ki binha ‘ para jana se mara dene ka adhikara de dega| kashmira, manipura aura nagalaimda mem dasiyom hajara benisham kabrom aura benama chitaom para agara gaura kiya jae to sachamucha hi sena ne svayam ko behada samdehaspada bana diya hai|
Tainati ki taiyariyam to chala hi rahi haim, madhya bharata ke jamgalom ki gherebamdi jari hai aura gramina bahara nikalane se, khadya samagri aura davaiyam kharidane bajara jane se Dara rahe haim| bhayavaha, alokatamtrika kanunom ke amtargata maovadi hone ke Aropa mem saikada़om logom ko kaida mem dala diya gaya hai| jelem adivasi logom se bhari pada़I haim jinamem bahutom ko yaha bhi nahim pata ki unaka aparadha kya hai| hala hi mem soni sori, jo bastara ki eka adivasi adhyapika haim, ko giraphtara kara pulisa hirasata mem yatanaem di gaim| isa bata ka ‘ikabala’ karavane ke lie ki ve maovadi samdeshavahaka haim unake guptamga mem patthara bhare gae the| kolakata ke eka aspatala mem unake sharira se patthara nikale gae| vaham unhem kaphi jana Akrosha ke bada chikitsa jamcha ke lie bheja gaya tha| uchchatama nyayalaya ki haliya sunavai mem ektivistom ne nyayadhishom ko plastika ki thaili mem patthara bhemta kie| unake prayasom se kevala yaha natija nikala ki soni sori aba bhi jela mem haim aura jisa pulisa adhikshaka amkita garga ne soni sori se puchatacha ki thi use ganatamtra divasa para virata ke lie rashtrapati ka pulisa padaka pradana kiya gaya|
Masa midiya ki simaem
Desha ke aura bhi hisse haim jaham se koi khabara nahim ati| bahuta hi kama janasamkhya vale para sainyikrrita uttara-purvi rajya arunachala pradesha mem 168 bada़e bamdha banaye ja rahe haim jinamem adhikatara niji kshetra ke haim| manipura aura kashmira mem umche bamdha banaye ja rahe haim jo samuche jilom ko Dubo demge, ye donom hi atyamta sainyikrrita rajya haim jaham sirpha bijali ki katauti ka virodha karane ke lie bhi logom ko mara ja sakata hai| (aisa kucha hi haphtom pahale kashmira mem hua| ) to ve bamdha ka nirmana kaise roka sakate haim?
Vikrrita sapane
Gujarata ka kalpasara bamdha sarvadhika bhramtikari hai| isaki yojana khambhata ki khada़I mem eka 34 kimi lambe bamdha ke rupa mem banai ja rahi hai jisake Upara eka dasa lena haive aura eka relave laina bhi hogi| samudra ke pani ko bahara kara gujarata ki nadiyom ke mithe pani ka jalashaya banane ka irada hai| (yaha bata aura hai ki ina nadiyom ki amtima bumda taka para bamdha bana diya gaya hai aura rasayanika nissarana se ye jaharili ho chuki haim| ) kalpasara bamdha ko, jo samudra sataha ko badha़aega aura samudra tata ki saikada़om kilomitara ki paristhitiki ko badala dega, dasa sala pahale hi eka hanikaraka vichara mana kara kharija kara diya gaya tha| isaki achanaka vapasi isalie hui hai kyomki dholera vishesha nivesha kshetra (speshala imvestamemta rijana ya esaaiara) ko pani ki apurti ki ja sake jo bharata hi nahim balki duniya bhara ke sabase kama pani vale bhubhagom mem se eka mem sthita hai| esaijeda ka hi dusara nama hai esaaiara, matalaba ‘audyogika parkom, upanagarom (taunashipa) aura megashaharom’ ka svashasita kaॉrporeta naraka (distopiya)| dholera esaaiara ko dasa lena rajamargom ke jala se gujarata ke anya shaharom se joda़A jaega| ina saba ke lie paisa kaham se aega?
Janavari, 2011 mem mahatma (gamdhi) mamdira mem gujarata ke mukhya mamtri naremdra modi ne 100 deshom se Aye 10,000 amtarrashtriya karobariyom ke sammelana ki adhyakshata ki| midiya ki riportom ke anusara unhomne gujarata mem 45,000 karoda़ daॉlara nivesha karane ka vada kiya hai| pharavari-marcha, 2002 mem hue 2,000 musalamanom ke katleama ki dasavim barasi ki shuruata ke mauke para hi vaha sammelana hone vala tha| modi para na kevala hatyaom ki anadekhi karane ka balki sakriya rupa se unhem badha़ava dene ka bhi Aropa hai| jina logom ne apane priyajanom ka balatkara hote, unhem tukada़e-tukada़e hote aura jimda jalaye jate dekha hai, jina dasiyom hajara logom ko apana ghara chodaऩe ke lie majabura kiya gaya tha, ve aba bhi imsapha ke halke se ishare ke mumtajira haim| magara modi ne apana kesariya dupatta aura simduri matha chamakadara bijanesa suta se badala liya hai aura unhem ummida hai ki 45,000 karoda़ daॉlara ka nivesha blada mani (muavaje) ke taura para kama karega aura hisaba barabara ho jaega| shayada aisa ho bhi jae| bada़A vyavasaya utsaha se unaka samarthana kara raha hai| aparimita nyaya ka bijaganita rahasyamaya tarikom se kama karata hai|
Dholera esaaiara choti matriyoshka gudiय़om mem eka hai, jisa naraka ki yojana banai ja rahi hai usaki eka amdara vali gudiय़a| ye dilli mumbai audyogika galiyare (diemaaisi) se joda़A jayega, diemaaisi eka 1500 kimi lamba aura 300 kimi chauda़A audyogika galiyara hoga jisamem nau bahuta bada़e audyogika kshetra, eka tivra-gati malavahaka rela laina, tina bamdaragaha aura Chaha havai adde, eka Chaha lena ka bina chaurahom (imtarasekshana) vala drutagati marga aura eka 4000 megavata ka urja samyamtra hoga| diemaaisi bharata aura japana ki sarakarom aura unake apane-apane kaॉrporeta sahayogiyom ka sajha udyama hai aura use mekimji globala imstityuta ne prastavita kiya hai|
Diemaaisi ki vebasaita kahati hai ki isa projekta se lagabhaga 18 karoda़ loga ‘prabhavita’ homge| vastava mem ve kisa prakara prabhavita homge yaha nahim bataya gaya| kai nae shaharom ka nirmana kie jane ka anumana hai aura amdaja hai ki 2019 taka isa kshetra ki janasamkhya vartamana 23.1 karoda़ se badha़kara 31.4 karoda़ ho jaegi| kya Apako yada hai ki akhiri bara kaba kisi rajya, niramkusha shasaka ya tanashaha ne dasiyom lakha logom ki janasamkhya ko sthanamtarita kiya tha? Kya yaha prakriya shamtipurna ho sakati hai?
Bharatiya sena ko shayada bharti abhiyana chalana pada़ega taki jaba use bharata bhara mem tainati ka Adesha mile to sharmimdagi ka samana na karana pada़e| madhya bharata mem apani bhumika ki taiyari mem bharatiya sena ne sainya manovaij~nanika parichalana (militari saikolaॉjikala ऑpareshamsa) para apana adyatana siddhamta sarvajanika rupa se jari kiya, jo ‘vamchita pravrrittiyom aura acharana paida karane vali khasa vishaya vastuom ko badha़ava dene ke lie chuni hui lakshita janata taka samdesha sampreshita karane ki niyojita prakriya’ ka khaka khimchati hai ‘jo desha ke rajanitika aura sainika uddeshyom ki prapti para asara dalati hai’| isake anusara ‘abhij~nata prabamdhana’ ki yaha prakriya, ‘sena ko upalabdha samchara madhyamom’ ke dvara samchalita ki jayegi|
Apane anubhava se sena ko pata hai ki jisa paimane ki samajika imjiniyarimga bharata ke yojanakartaom ne sochi hai use kevala balapurvaka prabamdhita aura karyanvita nahim kiya ja sakata| garibom ke khilapha jamga eka bata hai| magara hama jaise baki bache logom ke lie- madhya varga, saphedaposha karmi, buddhijivi, ‘abhimata banane vale’ – to yaha ‘abhij~nata prabamdhana’ hi chahie hoga| aura isake lie hamem apana dhyana ‘kaॉrporeta paropakara’ ki utkrrishta kala ki ora le jana hoga|
एक और वैचारिक तख्ता पलट का संबंध नारीवादी आंदोलन में फाउंडेशनों की सहभागिता से है। भारत में ज्यादातर ‘अधिकृत’ नारीवादी और महिलाओं के संगठन क्यों 90,000 सदस्यीय क्रांतिकारी महिला आदिवासी संगठन जैसे संगठनों से सुरक्षित दूरी बनाये रखते हैं जो अपने समुदायों में पितृसत्ता और दंडकारण्य के जंगलों में खनन कॉर्पोरेशनों द्वारा हो रहे विस्थापन के खिलाफ लड़ रहे हैं? ऐसा क्यों है कि लाखों महिलाओं की उस भूमि से बेदखली और निष्कासन, जिसकी वे मालिक हैं और जिस पर उन्होंने मेहनत की है, एक महिलावादी मुद्दा नहीं है?
उदारवादी नारीवादी आंदोलन के जमीन से जुड़े साम्राज्यवाद-विरोधी और पूंजीवाद-विरोधी जनांदोलनों से अलग होने की शुरुआत फाउंडेशनों की दुष्टता भरी चालों से नहीं हुई। यह शुरुआत साठ और सत्तर के दशक में हुए महिलाओं के तेजी से हो रहे रैडिकलाइजेशन के अनुरूप बदलने और उसे समायोजित करने में उस दौर के आंदोलनों की असमर्थता से हुई। हिंसा और अपने पारंपरिक समाजों में यहां तक कि वामपंथी आंदोलनों के तथाकथित प्रगतिशील नेताओं में मौजूद पितृसत्ता को लेकर बढ़ती अधीरता को पहचानने में और उसे सहारा और आर्थिक सहयोग देने हेतु आगे आने में फाउंडेशनों ने बुद्धिमानी दिखाई। भारत जैसे देश में ग्रामीण और शहरी वर्गीकरण में फूट भी थी। ज्यादातर रैडिकल और पूंजीवाद-विरोधी आंदोलन ग्रामीण इलाकों में स्थित थे, जहां महिलाओं की जिंदगी पर पितृसत्ता का व्यापक राज चलता था। शहरी महिला एक्टिविस्ट जो इन आंदोलनों (जैसे नक्सली आंदोलन) का हिस्सा बनीं, वे पश्चिमी महिलावादी आंदोलन से प्रभावित और प्रेरित थीं और मुक्ति की दिशा में उनकी अपनी यात्राएं अक्सर उसके विरुद्ध होतीं जिसे उनके पुरुष नेता उनका कर्तव्य मानते थे: यानी ‘आम जनता’ में घुल-मिल जाना। बहुत सी महिला एक्टिविस्ट अपने जीवन में होने वाले रोजमर्रा के उत्पीडऩ और भेदभाव, जो उनके अपने कामरेडों द्वारा भी किए जाते थे, को खत्म करने के लिए ‘क्रांति’ तक रुकने के लिए तैयार नहीं थीं। लैंगिक बराबरी को वे क्रांतिकारी प्रक्रिया का मुकम्मल, अत्यावश्यक, बिना किसी किस्म की सौदेबाजी वाला हिस्सा बनाना चाहती थीं न कि क्रांति के उपरान्त का वायदा। समझदार हो चुकीं, क्रोधित और मोहभंग में महिलाएं दूर हटने लगीं और समर्थन और सहारे के दूसरे माध्यम तलाशने लगीं। परिणामत: अस्सी का दशक खत्म होते-होते, लगभग उसी समय जब भारतीय बाजारों को खोल दिया गया था, भारत जैसे देश में उदारवादी महिलावादी आंदोलन का बहुत ज्यादा एनजीओकरण हो गया था। इन में से बहुत से एनजीओ ने समलैंगिक अधिकारों, घरेलू हिंसा, एड्स और देह व्यापार करने वालों के अधिकारों को लेकर बहुत महत्त्वपूर्ण काम किया है। मगर यह उल्लेखनीय है कि उदार नारीवादी आंदोलन नई आर्थिक नीतियों के विरोध में आगे नहीं आये हैं, बावजूद इसके कि महिलाएं इनसे और भी ज्यादा पीड़ित हुई हैं। धन वितरण को हथियार की तरह इस्तेमाल करके, फाउंडेशन ‘राजनीतिक’ गतिविधि’ क्या होनी चाहिए इसको काफी हद तक निर्धारित करने में सफल रहे हैं। फाउंडेशनों के अनुदान संबंधी सूचनापत्रों में आजकल बताया जाता है कि किन बातों को महिलाओं के ‘मुद्दे’ माना जाए और किन को नहीं।
Khushi ka utkhanana
Hala ke dinom mem pramukha khanana samuhom ne kala ko amgikara kara liya hai – philmem, kala aura sahityika samarohom ki badha़ti bhida़ ne nabbe ke dashaka ki saumdarya pratiyogitaom ko lekara pae jane vale jununa ki jagaha le li hai| vedamta, jo philahala baॉksaita ke lie prachina domgariya komdha janajati ki janmabhumi ko betahasha khoda rahi hai, yuva sine vidyarthiyom ke bicha ‘krietimga haipinesa’ namaka philma pratiyogita prayojita kara rahi hai| ina vidyarthiyom ko vedanta ne samvahaniya vikasa arthata sastenebala devalapamemta para philmem banane hetu niyukta kiya hai| vedanta ki taigalaina hai ‘mainimga haipinesa’ (khushi ka utkhanana)| jimdala samuha samakalina kala para kemdrita eka patrika nikalata hai aura bharata ke kucha bada़e kalakarom ki sahayata karata hai (jo svabhavika hai ki inaka madhyama stenalesa stila hai| ) tahalaka nyujavika thimka phesta (chimtana mahotsava)ka esara samuha pramukha prayojaka tha jisamem vada kiya gaya tha ki duniya ke agrani chimtakom ke bicha, jinamem bada़e lekhaka, ektivista aura vastuvida phraimka gairi taka shamila the, tejatarrara bahasem hai aktena dibetsa homgim| (ye saba gova mem ho raha tha, jaham ektivista aura patrakara bhimakaya avaidha khanana ghotalom ko ujagara kara rahe the aura bastara mem yuddha mem essara ki bhumika samane Ane lagi thi|) TATA stila aura rio timto (jisaka apana hi ghinauna itihasa hai) jayapura litarechara phestivala (vaij~nanika nama- darshana simha kansatrakshansa jayapura litarechara phestivala) ke mukhya prayojakom mem the jisako kala-marmaj~nom ne ‘dharati ka mahanatama sahityika utsava’ kahakara vij~napita kiya hai| kaunseleja ne, jo TATA ki stretejika bramda mainejara hai, phestivala ka presa tambu prayojita kiya| duniya ke behatarina aura pratibhashali lekhakom mem se kai jayapura mem prema, sahitya, rajaniti aura suphi shayari para batem karane ke lie jama hue the| unamem se kucha ne salamana rushdi ki pratibamdhita pustaka saitanika varseja ka patha karake unaki abhivyakti ki svatamtrata ka bachava karane ki koshisha ki| hara tivi phrema aura akhabari tasvira mem, lekhakom ke piche TATA ka logo (aura unaki taigalaina- vailyuja stramgara daina stila -ispata se majabuta mulya) eka saumya aura paropakari mejabana ke rupa mem chaya tha| abhivyakti ki svatamtrata ki dushmana kathita rupa se himsaka musalamanom ki vaha bhida़ thi jo, jaisa ki ayojakom ne hamem bataya, vaham ikaththa hue skuli bachchom taka ko nukasana pahumcha sakati thi| (hama isa bata ke gavaha haim ki musalamanom ke bare mem bharata sarakara aura pulisa kitani asahaya ho sakati hai| ) ham, kattarapamthi devabamdi islami madarase ne rushdi ko phestivala mem bulaye jane ka virodha kiya| ham, kucha islamavadi nishchaya hi Ayojana sthala para virodha pradarshita karane ke lie ekatrita hue the aura ham, bhayavaha bata yaha hai ki Ayojana sthala ki raksha karane ke lie rajya sarakara ne kucha nahim kiya| vaha isalie ki pure ghatanakrama ka lokatamtra, votabaimka aura uttara pradesha chunavom se utana hi lena-dena tha jitana islamavadi kattarapamtha se| magara islamavadi kattarapamtha ke viruddha abhivyakti ki svatamtrata ki lada़AI ne duniya bhara ke akhabarom mem jagaha pai| yaha aham bata hai ki aisa hua| magara phestivala ke prayojakom ki jamgalom mem chala rahe yuddha, lashom ke Dhera lagane aura jelom ke bharate jane mem bhumika ke bare mem shayada hi koi riporta ho| ya phira gairakanuni gatividhi pratibamdhaka vidheyaka ya chatisagadha़ vishesha jana suraksha vidheyaka ke bare mem koi riporta jo sarakara-virodhi bata sochane taka ko samj~neya aparadha banate haim| ya phira lohamdiguda ke TATA ispata samyamtra ko lekara anivarya jana sunavai ke bare mem, jo sthaniya logom ki shikayata ke anusara vastava mem saikada़om mila dura jagadalapura mem jiladhisha karyalaya ke pramgana mem kiraye para lae gae pachasa logom ki upasthiti mem aura hathiyarabamda suraksha ke bicha hui| usa vakta abhivyakti ki svatamtrata kaham thi? Kisi ne kalimganagara ka jikra nahim kiya| kisi ne jikra nahim kiya ki bharata sarakara ko jo vishaya apriya haim una para – jaise shrilamka ke yuddha mem tamilom ke narasamhara mem usaki gupta bhumika ya kashmira mem hala mem khoji gaim benishana kabrem- kama karane vale patrakarom, akadamikom aura philma banane valom ke vija asvikrrita kie ja rahe haim ya unhem earaporta se sidhe nirvasita kara diya ja raha hai|
Ye utkrrishta kala ka prahasanatmaka amta hai|
Vaise to TATA lagabhaga sau salom se kaॉrporeta paropakara mem shamila hai, chatravrrittiyam pradana kara aura kucha behatarina shiksha samsthana va aspatala chalakara| para bharatiya nigamom ko isa stara chembara, ya kaimera stelata mem hala hi mem amamtrita kiya gaya hai| kaimera stelata vaishvika kaॉrporeta sarakara ki vaha chamachamati duniya hai jo usake virodhiyom ke lie to maraka hai magara vaise itani kalatmaka hai ki Apako usake astitva ka pata hi nahim chalata|
Paropakara ki dhara
Isa nibamdha mem Age jo Ane vala hai, vaha kucha logom ko kimchita katu alochana pratita hogi| dusari ora, apane virodhiyom ka sammana karane ki parampara mem, ise una logom ki drrishti, lachilepana, parishkarana aura drridha़ nishchaya ki abhisvikrriti ke taura para bhi padha़A ja sakata hai, jinhomne apani jimdagiyam duniya ko pumjivada ke lie surakshita rakhane hetu samarpita kara di haim|
Unaka sammohaka itihasa, jo samakalina smrriti se dhumdhala ho gaya hai, amerika mem bisavim sadi ke shuruati daura mem arambha hua , jaba danaprapta phaumdeshanom ke rupa mem kanunana khada़e kie jane para kaॉrporeta paropakara ne pumjivada ke (aura samrajyavada) ke lie raste kholane vale aura mustaida nigahabani karane vale ki bhumika se mishanari gatividhiyom ki jagaha leni shuru ki| amerika mem sthapita kie gae shuruati phaumdeshanom mem the karnegi stila kampani ke munaphom se mile dana se 1911 mem karnegi karaporeshana; aura staindarda Ayala kampani ke samsthapaka je. DI. Raॉkaphelara ke dana se 1914 mem bana raॉkaphelara phaumdeshana| usa samaya ke TATA aura ambani|
Raॉkaphelara phaumdeshana dvara vittaposhita, prarambhika nidhi prapta ya sahayata prapta kucha samsthana haim samyukta rashtra samgha, siaie, kaumsila phaॉra phaॉrena rileshamsa, nyuyaॉrka ka behada shanadara myujiyama ऑpha maॉdarna arta aura beshaka nyuyaॉrka ka raॉkaphelara semtara (jaham Diego riviera ko myurala divara se toda़ kara hata diya gaya tha kyomki usamem shararatapurna dhamga se mulyahina pumjipatiyom aura vira lenina ko darshaya gaya tha| abhivyakti ki svatamtrata usa dina chutti mana rahi thi| )
Je.DI. Raॉkaphelara amerika ke pahale arabapati aura duniya ke sabase amira adami the| ve dasata-virodhi, abrahama limkana ke samarthaka the aura sharaba ko hatha nahim lagate the| unaka vishvasa tha ki unaka dhana bhagavana ka diya hua hai jo nishchaya hi unake prati dayalu raha hoga|
हाल के दिनों में प्रमुख खनन समूहों ने कला को अंगीकार कर लिया है – फिल्में, कला और साहित्यिक समारोहों की बढ़ती भीड़ ने नब्बे के दशक की सौंदर्य प्रतियोगिताओं को लेकर पाए जाने वाले जुनून की जगह ले ली है। वेदांता, जो फिलहाल बॉक्साइट के लिए प्राचीन डोंगरिया कोंध जनजाति की जन्मभूमि को बेतहाशा खोद रही है, युवा सिने विद्यार्थियों के बीच ‘क्रिएटिंग हैपिनेस’ नामक फिल्म प्रतियोगिता प्रायोजित कर रही है। इन विद्यार्थियों को वेदान्ता ने संवहनीय विकास अर्थात सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर फिल्में बनाने हेतु नियुक्त किया है। वेदान्ता की टैगलाइन है ‘माइनिंग हैपिनेस’ (खुशी का उत्खनन)। जिंदल समूह समकालीन कला पर केंद्रित एक पत्रिका निकालता है और भारत के कुछ बड़े कलाकारों की सहायता करता है (जो स्वाभाविक है कि इनका माध्यम स्टेनलेस स्टील है। ) तहलका न्यूजवीक थिंक फेस्ट (चिंतन महोत्सव)का एसार समूह प्रमुख प्रायोजक था जिसमें वादा किया गया था कि दुनिया के अग्रणी चिंतकों के बीच, जिनमें बड़े लेखक, एक्टिविस्ट और वास्तुविद फ्रैंक गैरी तक शामिल थे, तेजतर्रार बहसें हाई आक्टेन डिबेट्स होंगीं। (ये सब गोवा में हो रहा था, जहां एक्टिविस्ट और पत्रकार भीमकाय अवैध खनन घोटालों को उजागर कर रहे थे और बस्तर में युद्ध में एस्सार की भूमिका सामने आने लगी थी।) टाटा स्टील और रिओ टिंटो (जिसका अपना ही घिनौना इतिहास है) जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (वैज्ञानिक नाम- दर्शन सिंह कन्सट्रक्शन्स जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल) के मुख्य प्रायोजकों में थे जिसको कला-मर्मज्ञों ने ‘धरती का महानतम साहित्यिक उत्सव’ कहकर विज्ञापित किया है। काउन्सेलेज ने, जो टाटा की स्ट्रेटेजिक ब्रांड मैनेजर है, फेस्टिवल का प्रेस तंबू प्रायोजित किया। दुनिया के बेहतरीन और प्रतिभाशाली लेखकों में से कई जयपुर में प्रेम, साहित्य, राजनीति और सूफी शायरी पर बातें करने के लिए जमा हुए थे। उनमें से कुछ ने सलमान रुश्दी की प्रतिबंधित पुस्तक सैटनिक वर्सेज का पाठ करके उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव करने की कोशिश की। हर टीवी फ्रेम और अखबारी तस्वीर में, लेखकों के पीछे टाटा का लोगो (और उनकी टैगलाइन- वैल्यूज स्ट्रांगर दैन स्टील -इस्पात से मजबूत मूल्य) एक सौम्य और परोपकारी मेजबान के रूप में छाया था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुश्मन कथित रूप से हिंसक मुसलमानों की वह भीड़ थी जो, जैसा कि आयोजकों ने हमें बताया, वहां इकठ्ठा हुए स्कूली बच्चों तक को नुकसान पहुंचा सकती थी। (हम इस बात के गवाह हैं कि मुसलमानों के बारे में भारत सरकार और पुलिस कितनी असहाय हो सकती है। ) हां, कट्टरपंथी देवबंदी इस्लामी मदरसे ने रुश्दी को फेस्टिवल में बुलाये जाने का विरोध किया। हां, कुछ इस्लामवादी निश्चय ही आयोजन स्थल पर विरोध प्रदर्शित करने के लिए एकत्रित हुए थे और हां, भयावह बात यह है कि आयोजन स्थल की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया। वह इसलिए कि पूरे घटनाक्रम का लोकतंत्र, वोटबैंक और उत्तर प्रदेश चुनावों से उतना ही लेना-देना था जितना इस्लामवादी कट्टरपंथ से। मगर इस्लामवादी कट्टरपंथ के विरुद्ध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई ने दुनिया भर के अखबारों में जगह पाई। यह अहम् बात है कि ऐसा हुआ। मगर फेस्टिवल के प्रायोजकों की जंगलों में चल रहे युद्ध, लाशों के ढेर लगने और जेलों के भरते जाने में भूमिका के बारे में शायद ही कोई रिपोर्ट हो। या फिर गैरकानूनी गतिविधि प्रतिबंधक विधेयक या छतीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा विधेयक के बारे में कोई रिपोर्ट जो सरकार-विरोधी बात सोचने तक को संज्ञेय अपराध बनाते हैं। या फिर लोहंडीगुडा के टाटा इस्पात संयंत्र को लेकर अनिवार्य जन सुनवाई के बारे में, जो स्थानीय लोगों की शिकायत के अनुसार वास्तव में सैकड़ों मील दूर जगदलपुर में जिलाधीश कार्यालय के प्रांगण में किराये पर लाए गए पचास लोगों की उपस्थिति में और हथियारबंद सुरक्षा के बीच हुई। उस वक्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहां थी? किसी ने कलिंगनगर का जिक्र नहीं किया। किसी ने जिक्र नहीं किया कि भारत सरकार को जो विषय अप्रिय हैं उन पर – जैसे श्रीलंका के युद्ध में तमिलों के नरसंहार में उसकी गुप्त भूमिका या कश्मीर में हाल में खोजी गईं बेनिशान कब्रें- काम करने वाले पत्रकारों, अकादमिकों और फिल्म बनाने वालों के वीजा अस्वीकृत किए जा रहे हैं या उन्हें एअरपोर्ट से सीधे निर्वासित कर दिया जा रहा है।
मगर हम पापियों में कौन पहला पत्थर उछालने वाला था? मैं तो नहीं, जो कॉर्पोरेट प्रकाशन गृहों से मिलने वाली रॉयल्टियों पर गुजर करती हूं। हम सब टाटा स्काई देखते हैं, टाटा फोटॉन से इंटरनेट पर विचरण करते हैं, टाटा टैक्सियों में घूमते हैं, टाटा होटलों में रहते हैं, टाटा की चीनी मिट्टी के कप में अपनी टाटा चाय की चुस्कियां लेते हैं और उसे टाटा स्टील से बने चम्मच से घोलते हैं। हम टाटा की किताबें टाटा की किताबों की दुकान से खरीदते हैं। हम टाटा का नमक खाते हैं। हम घेर लिए गए हैं।
Prastuta haim ‘staindarda Ayala kampani’ shirshaka pablo neruda ki eka shuruati kavita ke amsha:
Nyuyaॉrka ke unake thulathula badashaha loga
Saumya muskarate hatyare haim
Jo kharidate haim reshama, nayalaॉna, sigara,
Haim chote-mote atatayi aura tanashaha |
Ve kharidate haim desha, loga, samamdara, pulisa, vidhana/ sabhaem,
Duradaraja ke ilake jaham gariba ikattha karate haim/ anaja
Jaise kamjusa joda़te haim sona,
Staimdarda Ayala unhem jagati hai,
Vardiyam pahanati hai,
Batati hai ki kauna-sa bhai hai shatru unaka|
Usaki lada़AI paragve vasi lada़ta hai
Aura boliviyaijamgalom mem isaki mashinaganom ke satha bhatakata hai|
Petroliyama ki eka bumda ke lie mara dala gaya/ eka rashtrapati,
Dasa lakha ekada़ rehana rakhata hai,
Ujale se mrrita patharayi hui eka subaha teji se /diya jata hai mrrityudamda ,
Bagiyom ke lie eka naya kaidakhana
Patagoniya mem, eka vishvasaghata, petroliyama/chamda ke tale
Goliyom ki chita puta avajem, rajadhani mem
Mamtriyom ko ustadi se badalana,
Rajadhani mem, eka phusaphusahata
Tela ki laharom jaisi
Aura phira prahara| Apa dekhemge
Ki kaise staimdarda Ayala ke shabda chamakate haim/ badalom ke Upara,
Samamdarom ke Upara, Apake ghara mem
Apane prabhava kshetra ko jagamagate hue|
Karom se mukti ka marga
Amerika mem jaba pahale-pahala kaॉrporeta dhanaprapta phaumdeshanom ka avirbhava hua to vaham unake udgama, vaidhata aura uttaradayitva ke abhava ko lekara tikhi bahasa hui| logom ne salaha di ki agara kaॉrporeshanom ke pasa itana adhishesha hai, to unhem majadurom ki tanakhvahem badha़ani chahie| (una dinom amerika mem bhi loga aisi behuda salahem diya karate the| ) ina phaumdeshanom ka vichara, jo Aja mamuli bata lagata hai, daraasala karobari kalpana ki eka umchi chalamga tha| karom se mukta vaidha samsthaem jinake pasa atyadhika samsadhana aura lagabhaga asimita yojanaem hom – javabadehi se purnata: mukta, purnata: aparadarshi – Arthika sampatti ko rajanitika, samajika aura samskrritika pumji mem badalane ka isase badhiय़a tarika aura kya ho sakata hai? Sudakhorom ke lie apane munaphom ke eka rattibhara pratishata ko duniya ko chalane mem istemala karane ka isase badhiय़a tarika aura kya ho sakata hai? Varana bila getsa jo, khuda kahate haim ki ve kampyutara ke bare mem bhi eka-do chijem hi janate haim, sirpha ameriki sarakara ke lie hi nahim balki duniya bhara ki sarakarom ke lie shiksha, svasthya aura krrishi nitiyam taiyara karate pae jate haim?
मुकेश अंबानी व्यक्तिगत तौर पर 2,000 करोड़ डॉलर (यहां तात्पर्य अमेरिकी से), जो मोटे तौर पर 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ही होता है, के मालिक हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआइएल), 4,700 करोड़ डॉलर (रु. 23,5000 करोड़) की मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली और वैश्विक व्यवसायिक हितों, जिनमें पेट्रोकेमिकल्स, तेल, प्राकृतिक गैस, पॉलीस्टर धागा, विशेष आर्थिक क्षेत्र, फ्रेश फूड रीटेल, हाई स्कूल, जैविक विज्ञान अनुसंधान, और मूल कोशिका संचयन सेवाओं (स्टेम सैल स्टोरेज सर्विसेज) शामिल हैं, में वे बहुतांश नियंत्रक हिस्सा रखते हैं। आरआइएल ने हाल ही में इंफोटेल के 95 प्रतिशत शेयर खरीदे हैं। इंफोटेल एक टेलीविजन संकाय (कंजोर्टियम) है जिसका 27 टीवी समाचार और मनोरंजन चैनलों पर नियंत्रण है इनमें सीएनएन-आइबीएन, आइबीएन लाइव, सीएनबीसी,आइबीएन लोकमत और लगभग हर क्षेत्रीय भाषा का ईटीवी शामिल है। इंफोटेल के पास फोर-जी ब्रॉडबैंड का इकलौता अखिल भारतीय लाइसेंस है; फोर-जी ब्रॉडबैंड ”तीव्रगति सूचना संपर्क व्यवस्था(पाइप लाइन)” है जो, अगर तकनीक काम कर गई तो, भविष्य का सूचना एक्सचेंज साबित हो सकती है। श्रीमान अंबानी जी एक क्रिकेट टीम के भी मालिक हैं।
Vigata varshom mem jaba logom ne phaumdeshanom dvara ki gai kucha sachamucha achchi chijem (sarvajanika pustakalaya chalana, bimariyom ka unmulana) dekhim- vahim kaॉrporeshanom aura unase paisa prapta phaumdeshanom ke bicha ka sidha sambamdha dhumdhalane laga| amtata: vaha puri taraha dhumdhala pada़A gaya| Aja to apane Apa ko vamapamthi samajhane vale taka unaki danashilata svikarane se sharmate nahim haim|
1920 ke dashaka taka ameriki pumjivada ne kachche mala aura videshi bajara ke lie bahara najara dalana shuru kara diya tha| phaumdeshanom ne vaishvika karporeta prashasana ke vichara ka pratipadana shuru kiya| 1924 mem raॉkaphelara aura karnegi phaumdeshanom ne milakara kaumsila phaॉra phaॉrena rileshamsa (siephaara – videsha sambamdha parishada) ki sthapana ki jo Aja duniya ka sabase shaktishali videsha niti dabava-samuha hai| siephaara ko bada mem phorda phaumdeshana se bhi anudana mila| sana 1947 ke Ate-Ate siephaara navagathita siaie ko pura samarthana dene laga aura ve satha milakara kama karane lage| aba taka amerika ke 22 grriha-sachiva (sekretari ऑpha steta) siephaara ke sadasya raha chuke haim| sana 1943 ki parichalana samiti mem, jisane samyukta rashtra samgha ki yojana banai thi, pamcha siephaara sadasya the, aura Aja nyuyaॉrka mem jaham sam.ra.samgha ka mukhyalaya khada़A hai vaha jamina je.DI. Raॉkaphelara dvara mile 850 karoda़ daॉlara ke anudana se kharidi gai thi|
1946 se lekara Aja taka vishva baimka ke sabhi gyaraha adhyaksha – ve loga jo svayam ko garibom ka mishanari batalate haim – siephaara ke sadasya rahe haim| (jaॉrja vudsa isake apavada haim aura ve raॉkaphelara phaumdeshana ke trasti aura cheja-mainahatana baimka ke upadhyaksha the| )
Sadbhavana ka amtararashtriya chehara
Bretana vudsa mem vishva baimka aura Aiemaepha (amtarrashtriya mudra kosha) ne nirnaya liya ki ameriki daॉlara ko vishva ki samchaya mudra (rijarva karamsi) hona chahie aura yaha ki vaishvika pumji ki paitha ko aura badha़Ane ke lie jaruri hoga ki eka mukta bajara vyavastha mem prayukta vyavasayika karyapranaliyom ka sarvabhaumikarana aura manakikarana kiya jae| isi uddeshya ki purti ke lie ve guda gavarnemsa (jaba taka dori unake hathom mem rahe) aura rula ऑpha laॉ arthata kanuna-vyavastha (basharte kanuna banane mem unaki chale) ki samkalpana aura saikada़om bhrashtachara-virodhi karyakramom (unaki banai hui vyavastha ko sarala aura karagara banane hetu) ko badha़ava dene ke lie itana paisa kharcha karate haim| vishva ki do sarvadhika aparadarshi aura javabadeha-rahita samsthaem gariba deshom ki sarakarom se paradarshita aura uttaradayitva ki mamga karati phirati haim|
Ye dekhate hue ki eka ke bada dusare desha ke bajarom ko balapurvaka aura jabaradasti vaishvika vitta ke lie khulavakara vishva baimka ne tisari duniya ki Arthika nitiyom ko lagabhaga nirdeshita kiya hai, kaha ja sakata hai ki kaॉrporeta paropakara Aja taka ka sabase divya dhamdha sabita hua hai|
Kaॉrporeta-dhanaprapta phaumdeshana abhijata klabom aura thimka-taimkom (chimtana mamdaliyom) ki vyavastha ke dvara apani shakti ka istemala karate haim aura apane khiladiय़om ko shataramja ki bisata para ina vishishta klabom aura thimka-taimkom ke jariye baithate haim| inake sadasya sajha hote haim aura ghumate daravajom se amdara bahara hote rahate haim| khasakara vamapamthi samuhom ke bicha jo vibhinna shadyamtra-gathaem prachalana mem haim, unake ulata isa vyavastha ke bare mem kucha bhi gopaniya, shaitani aura gupta-sadasyata jaisa nahim hai| jisa taraha kaॉrporeshana shaila (namamatra) ke lie pamjikrrita kampaniyom aura apatata (ऑphashora) khatom ka istemala paise ke hastamtarana aura prabamdhana ke lie karate haim, yaha tarika usase bahuta alaga nahim hai| pharka itana hi hai ki yaham prachatila mudra takata hai, paisa nahim|
Da phorda phaumdeshana (jo kimchita anudara raॉkaphelara phaumdeshana ka udaravadi rupa hai, halamki donom lagatara milakara kama karate haim) ki sthapana 1936 mem hui| halamki use aksara kama mahattva diya jata hai, para phorda phaumdeshana ki ekadama sapha aura purnata: spashta vicharadhara hai aura yaha apani gatividhiyam ameriki grrihamamtralaya ke satha bahuta najadiki se talamela baithakara chalata hai| lokatamtra aura ‘guda gavarnamsa’ (sushasana)ko gaharane ka unaka projekta mukta bajara mem karobari karyapranaliyom ke manakikarana aura karyakshamata ko badha़ava dene ki bretana vudsa skima ka hi hissa hai| dusare vishva yuddha ke bada, jaba ameriki sarakara ke shatru nambara eka ke taura para phasistom ki jagaha kamyunistom ne le li thi, shita yuddha se nipatane ke lie nai taraha ki samsthaom ki jarurata thi| phorda ne araeenadi (risarcha emda devalapamemta kaॉrporeshana ya raimda) ko paisa diya jo eka sainya thimka-taimka hai aura usane shuruata ameriki raksha vibhaga ke lie asra anusamdhana ke satha ki| 1952 mem ‘mukta rashtrom mem ghusapaitha karane aura unamem avyavastha phailane ke anavarata samyavadi prayatnom’ ko rokane ke lie usane ganatamtra kosha ki sthapana ki, jo phira lokatamtrika samsthanom ke adhyayana kemdra mem parivartita ho gaya | usaka kama tha maikarthi ki jyadatiyom ke bina chaturai se shita yuddha ladaऩa| bharata mem karoda़om dalara nivesha karake jo kama phorda phaumdeshana kara raha hai- kalakarom, philmakarom aura ektivistom ko die jane vali vittiya madadem, vishvavidyalayina korsom aura chatravrrittiyom hetu udara anudana – use hamem isa najarie se dekhana hoga|
Phorda phaumdeshana ke ghoshita ‘manavajati ke bhavishya ke lakshyom ‘ mem sthaniya aura amtarrashtriya jamini rajanitika amdolanom mem hastakshepa karana hai| amerika mem isane kredita yuniyana muvamemta ko sahayata dene ke lie anudana aura rrina ke taura para karoda़om lakha daॉlara muhaiya karavae| 1919 mem shuru hue kredita yuniyana muvamemta ke praneta eka dipartamemta stora ke malika edavarda phailina the| majadurom ko vahana kie jane yogya rrina upalabdha karakara upabhokta vastuom ke lie eka vishala upabhokta samaja (masa kamjampshana sosaiti) banane mem phailina ka vishvasa tha- jo usa samaya eka kramtikari vichara tha| daraasala yaha vichara kevala adha hi kramtikari tha, kyomki phailina ka jo vishvasa tha usaka dusara adha hissa tha rashtriya Aya ka adhika samatapurna vitarana| phailina ke sujhava ka pahala adha hissa pumjipatiyom ne hathiya liya aura mehanatakasha logom ko lakhom daॉlara ke ‘ephordebala’ rrina vitarita kara amerika ke mehanatakasha varga ko hamesha ke lie karje mem rahane vale logom mem badala diya jo apani jivana shaili ko adyatana karate rahane ke lie hamesha bhagadauda़ mem lage rahate haim|
Bisa sala bada chili ke yuva chatrom ko, jinhem shikago bvayaja ke nama se jana gaya, shikago vishvavidyalaya (je.DI. Raॉkaphelara dvara anudana prapta) mem miltana phridamana dvara navaudaravadi arthashasra mem prashikshana hetu amerika le jaya gaya| ye 1973 mem hue siaie-samarthita takhta-palata ki purvataiyari thi jisamem salvadora ayemde ki hatya hui aura janarala pinoshe ke satha hatyare dastom, gumashudagiyom aura atamka ka raja aya jo satraha varsha taka chala| (ayemde ka jurma tha eka lokatamtrika dhamga se chuna hua samajavadi hona aura chile ki khanom ka rashtriyakarana karana| )
1957 mem raॉkaphelara phaumdeshana ne eshiya mem samudayika netaom ke lie remana maigsese puraskara ki sthapana ki| ise philipinsa ke rashtrapati remana maigsese ka nama diya gaya jo dakshina-purva eshiya mem samyavada ke khilapha amerika ke abhiyana ke mahattvapurna sahayogi the| 2000 mem phorda phaumdeshana ne remana maigsese imarjamta lidarashipa puraskara ki sthapana ki| bharata mem kalakarom, ektivistom aura samajika karyakartaom ke bicha maigsese puraskara ki bada़I pratishtha hai| ema.esa. Subbalakshmi ko yaha puraskara mila tha aura usi taraha jayaprakasha narayana aura bharata ke behatarina patrakara pi. Sainatha ko bhi| magara jitana phayada puraskara se ina logom ka hua usa se adhika inhomne puraskara ko pahumchaya| kula mila kara yaha isa bata ka niyamta bana gaya hai ki kisa prakara ka ‘ektivijma’ svikarya hai aura kisa prakara ka nahim|
Dilachaspa yaha ki pichali garmiyom mem hue anna hajare ke bhrashtachara-virodhi amdolana ki aguai tina maigsese puraskara-prapta vyakti kara rahe the – anna hajare, aravinda kejarivala aura kirana bedi| aravinda kejarivala ke bahuta se gaira-sarakari samgathanom mem se eka ko phorda phaumdeshana se anudana milata hai| kirana bedi ke enajio ko koka kola aura lehamana bradarsa se paisa milata hai|
देश के और भी हिस्से हैं जहां से कोई खबर नहीं आती। बहुत ही कम जनसंख्या वाले पर सैन्यीकृत उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में 168 बड़े बांध बनाये जा रहे हैं जिनमें अधिकतर निजी क्षेत्र के हैं। मणिपुर और कश्मीर में ऊंचे बांध बनाये जा रहे हैं जो समूचे जिलों को डुबो देंगे, ये दोनों ही अत्यंत सैन्यीकृत राज्य हैं जहां सिर्फ बिजली की कटौती का विरोध करने के लिए भी लोगों को मारा जा सकता है। (ऐसा कुछ ही हफ्तों पहले कश्मीर में हुआ। ) तो वे बांध का निर्माण कैसे रोक सकते हैं?
विकृत सपने
गुजरात का कल्पसर बांध सर्वाधिक भ्रांतिकारी है। इसकी योजना खंभात की खाड़ी में एक 34 किमी लंबे बांध के रूप में बनाई जा रही है जिसके ऊपर एक दस लेन हाइवे और एक रेलवे लाइन भी होगी। समुद्र के पानी को बाहर कर गुजरात की नदियों के मीठे पानी का जलाशय बनाने का इरादा है। (यह बात और है कि इन नदियों की अंतिम बूंद तक पर बांध बना दिया गया है और रासायनिक निस्सारण से ये जहरीली हो चुकी हैं। ) कल्पसर बांध को, जो समुद्र सतह को बढ़ाएगा और समुद्र तट की सैकड़ों किलोमीटर की पारिस्थितिकी को बदल देगा, दस साल पहले ही एक हानिकारक विचार मान कर खारिज कर दिया गया था। इसकी अचानक वापसी इसलिए हुई है क्योंकि धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (स्पेशल इंवेस्टमेंट रीजन या एसआइआर) को पानी की आपूर्ति की जा सके जो भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के सबसे कम पानी वाले भूभागों में से एक में स्थित है। एसईजेड का ही दूसरा नाम है एसआइआर, मतलब ‘औद्योगिक पार्कों, उपनगरों (टाउनशिप) और मेगाशहरों’ का स्वशासित कॉर्पोरेट नरक (डिस्टोपिया)। धोलेरा एसआइआर को दस लेन राजमार्गों के जाल से गुजरात के अन्य शहरों से जोड़ा जाएगा। इन सब के लिए पैसा कहां से आएगा?
Bhale hi anna hajare svayam ko gamdhivadi kahate haim, magara jisa kanuna ki unhomne mamga ki hai- jana lokapala bila- vaha abhijatavadi, khataranaka aura gamdhivada ke viruddha hai| chaubisom ghamte chalane vale kaॉrporeta midiya abhiyana ne unhem ‘janata’ ki avaja ghoshita kara diya| amerika mem ho rahe ऑkyupai vaॉla strita amdolana ke viparita hajare amdolana ne nijikarana, kaॉrporeta takata aura Arthika ‘sudharom’ ke khilapha eka shabda nahim bola| usake viparita isake pramukha midiya samarthakom ne bada़e-bada़e kaॉrporeta bhrashtachara ghotalom (jinamem nami patrakarom ka bhi pardaphasha hua tha) se janata ka dhyana saphalatapurvaka hata diya aura rajanitikom ki jana-alochana ka istemala sarakara ke vivekadhina adhikarom mem aura kami lane evam aura adhika nijikarana ki mamga karane ke lie istemala kiya| (2008 mem anna hajare ne vishva baimka se utkrrishta jana seva ka puraskara liya| ) vishva baimka ne vashimgatana se eka vaktavya jari kiya ki yaha amdolana usaki nitiyom se puri taraha ‘mela khata’ hai|
Bahulatavada ka mukhauta
Sabhi achche samrajyavadiyom ki taraha paropakarijanom ne apane lie aisa amtarrashtriya kadara taiyara aura prashikshita karane ka kama chuna jo isa para vishvasa kare ki pumjivada aura usake vistara ke taura para ameriki varchasva unake svayam ke hita mem hai| aura isilie ve loga globala kaॉrporeta gavarnamemta ko chalane mem vaise hi madada karem jaise deshi sambhramtom ne hamesha upaniveshavada ki seva ki hai| isalie phaumdeshana shiksha aura kala ke kshetrom mem utare jo videsha niti aura gharelu Arthika niti ke bada unaka tisara prabhava kshetra bana gaya| unhomne karoda़om daॉlara akadamika samsthanom aura shikshashastra para kharcha kie (aura karate ja rahe haim)|
Apani adbhuta pustaka phaumdeshamsa emda pablika paॉlisi: da maska ऑpha plyuralijma mem jona rulophsa bayam karati haim ki kisa taraha phaumdeshanom ne rajaniti vij~nana ko kaise padha़aya jae isa vishaya ke purane vicharom mem badalava kara ‘imtaraneshanala’ (amtarrashtriya) aura ‘eriya’ (kshetriya) stadija (adhyayana) ki vidhaom ko rupa diya| isane ameriki guptachara aura suraksha sevaom ko apane ramgaruta bharti karane ke lie videshi bhashaom aura samskrriti mem visheshaj~nata ka eka pula upalabdha karavaya| Aja bhi siaie aura ameriki videsha mamtralaya ameriki vishvavidyalayom mem vidyarthiyom aura prophesarom ke satha kama karate haim jo vidvatta ko lekara gambhira naitika savala khada़e karata hai|
Jina logom para shasana kiya ja raha hai una para niyamtrana rakhane ke lie suchana ekatrita karana kisi bhi shasaka satta ka mulabhuta siddhamta hai| jisa samaya bhumi adhigrahana aura nai Arthika nitiyom ke khilapha pratirodha bharata mem badha़ta ja raha hai, taba madhya bharata mem khullamakhulla jamga ki chaya mem, sarakara ne niyamtrana takanika ke taura para eka vishala bayometrika karyakrama ka prarambha kiya, yunika aidemtiphikeshana nambara (vishishta pahachana samkhya ya yuaidi) jo shayada duniya ka sarvadhika mahattvakamkshi aura bada़I lagata ki suchana ekatrikarana pariyojana hai| logom ke pasa pine ka sapha pani, ya shauchalaya, ya khana, ya paisa nahim hai magara unake pasa chunava karda ya yuaidi nambara homge| kya yaha samyoga hai ki inaphosisa ke purva siio namdana nilakeni dvara chalaya ja raha yuaidi projekta, jisaka prakata uddeshya ‘garibom ko sevaem upalabdha karavana’ hai, aiti udyoga mem bahuta jyada paisa lagaega jo Ajakala kucha pareshani mem hai? (yuaidi bajata ka mota amdaja bhi bharata sarakara ke varshika shiksha kharcha se jyada hai| ) itani jyada tadada mem najayaja aura ”pahachana rahita” – loga jo jhuggiyom mem rahane vale haim, khomache vale haim, aise adivasi haim jinake pasa bhumi ke patte nahim- janasamkhya vale desha ko ‘dijitalaija’ karane ka asara yaha hoga ki unaka aparadhikarana ho jayega, ve najayaja se avaidha ho jayemge| yojana yaha hai ki enklojara ऑpha kaॉmamsa ka dijitala samskarana taiyara kiya jae aura lagatara sakhta hote ja rahe pulisa rajya ke hathom mem apara adhikara saumpa die jaem|
Amkada़om ka jununa
Amkada़e jama karane ko lekara nilakeni ka jununa bilkula vaisa hi hai jaisa dijitala amkada़A kosha, ‘samkhyatmaka lakshyom’ aura ‘vikasa ke skorakarda’ ko lekara bila getsa ka jununa hai| mano suchana ka abhava hi vishva mem bhukha ka karana ho na ki upaniveshavada, karja aura vikrrita munapha-kemdrita kaॉrporeta niti|
Kaॉrporeta-anudana se chalane vale phaumdeshana samaja-vij~nana aura kala ke sabase bada़e dhanadata haim jo ‘vikasa adhyayana’, ‘samudaya adhyayana’, ‘samskrritika adhyayana’, ‘vyavaharasambamdhi adhyayana’ aura ‘manava adhikara’ jaise pathyakramom ke lie anudana aura chatravrrittiyam pradana karate haim| jaba ameriki vishvavidyalayom ne apane daravaje amtarrashtriya vidyarthiyom ke lie khola die, to lakhom chatra, tisari duniya ke sambhramtom ke bachche, pravesha karane lage| jo phisa ka kharcha vahana nahim kara sakate the unhem chatravrrittiyam di gaim| Aja bharata aura pakistana jaise deshom mem shayada hi koi uchcha madhyamavargiya parivara hoga jisamem amerika mem padha़A hua bachcha na ho| inhim logom ke bicha se achche vidvana aura adhyapaka hi nahim Ae haim balki pradhanamamtri, vittamamtri, arthashastri, kaॉrporeta vakila, baimkara aura naukarashaha bhi nikale haim jinhomne apane deshom ki arthavyavasthaom ko vaishvika kaॉrporeshanom ke lie kholane mem madada ki hai|
Arthashastra aura rajaniti-vij~nana ke phaumdeshanom ki ora mitravata samskarana ke vidvanom ko pheloshipa, anusamdhana nidhiyom, anudanom aura naukariyom se navaja gaya| jinake vichara phaumdeshanom ki ora mitravata nahim the unhem anudana nahim mile, hashiye para dala alaga-thalaga kara diya gaya aura unake pathyakrama bamda kara die gae| dhire-dhire eka khasa taraha ki socha- ekamatra sarvaachchadita aura atyamta ekamgi Arthika vicharadhara ki Chata ke niche sahishnuta aura bahusamskrritivada (jo kshana bhara mem naslavada, unmatta rashtravada, jatiya ugrarashtriyata, yuddha bhada़kau islamophobiya mem badala jata hai) ka bhurabhura aura satahi dikhava – vimarsha para havi hone laga| aisa isa hada taka hua ki aba use eka vicharadhara ke taura para dekha hi nahim jata| yaha eka diphaॉlta pojishana bana gai hai, eka prakrritika avastha| usane samanya sthiti mem ghusapaitha kara li, sadharanata ko upaniveshita kara liya aura use chunauti dena yathartha ko chunauti dene jitana betuka ya gudha़ pratita hone laga| yaham se ‘aura koi vikalpa nahim’ taka turamta pahumchana eka asana kadama tha|
Shararati dhamga se jaba sarakara ya kaॉrporeta presa narmada bachao amdolana ya kudanakulama anavika samyamtra ke virodha jaise asali janamdolanom ki badanami ka abhiyana chalana chahate haim, to ve Aropa lagate haim ki ye janamdolana ‘videshi vittaposhita’ prapta enajio haim| unhem bhali-bhamti pata hai ki adhikatara enajio ko, khasakara jinhem achchi rashi milati hai, ko kaॉrporeta vaishvikarana ko badha़ava dene ka Adesha mila hua hai na ki usamem roda़e atakane ka|
Apane arabom daॉlara ke satha ina enajio ne duniya mem apani raha banai hai, bhavi kramtikariyom ko vetanabhogi ektivistom mem badalakara, kalakarom, buddhijiviyom aura philmakarom ko anudana dekara, unhem haule se phusalakara ugra muthabheda़ se pare le jakara, bahusamskrritivada, jemdara, samudayika vikasa ki disha mem pravesha karakara- aisa vimarsha jo pahachana ki rajaniti aura manava adhikarom ki bhasha mem bayam kiya jata hai|
Nyaya ki samkalpana ka manava adhikarom ke udyoga mem parivartana eka aisa vaicharika takhtapalata raha hai jisamem enajio ne mahattvapurna bhumika nibhai hai| manava adhikarom ka samkirna drrishti se bata karana eka atyachara-adharita vishleshana ki raha banata hai jisamem asali surata chupai ja sakati hai aura samgharsharata donom pakshom ko- masalana, maovadi aura bharata sarakara, ya ijaraili sena aura hamasa- donom ko manava adhikarom ke ullamghana ke nama para damta pilai ja sakati hai| khanija kaॉrporeshanom dvara jamina kabjana ya ijarayali rajya dvara philistini bhumi ko kabje mem karana, aisi batem phutanotsa bana jati haim jinaka vimarsha se bahuta thoda़A sambamdha hota hai| kahane ka matalaba yaha nahim ki manava adhikarom ki koi ahamiyata nahim| ahamiyata hai, para ve utana achcha prijma nahim haim jisamem se hamari duniya ki bhayanaka naimsaphiyom ko dekha jae ya kimchita bhi samajha jae|
Narivada ka bhatakava
Eka aura vaicharika takhta palata ka sambamdha narivadi amdolana mem phaumdeshanom ki sahabhagita se hai| bharata mem jyadatara ‘adhikrrita’ narivadi aura mahilaom ke samgathana kyom 90,000 sadasyiya kramtikari mahila adivasi samgathana jaise samgathanom se surakshita duri banaye rakhate haim jo apane samudayom mem pitrrisatta aura damdakaranya ke jamgalom mem khanana kaॉrporeshanom dvara ho rahe visthapana ke khilapha lada़ rahe haim? Aisa kyom hai ki lakhom mahilaom ki usa bhumi se bedakhali aura nishkasana, jisaki ve malika haim aura jisa para unhomne mehanata ki hai, eka mahilavadi mudda nahim hai?
Udaravadi narivadi amdolana ke jamina se juda़e samrajyavada-virodhi aura pumjivada-virodhi janamdolanom se alaga hone ki shuruata phaumdeshanom ki dushtata bhari chalom se nahim hui| yaha shuruata satha aura sattara ke dashaka mem hue mahilaom ke teji se ho rahe raidikalaijeshana ke anurupa badalane aura use samayojita karane mem usa daura ke amdolanom ki asamarthata se hui| himsa aura apane paramparika samajom mem yaham taka ki vamapamthi amdolanom ke tathakathita pragatishila netaom mem maujuda pitrrisatta ko lekara badha़ti adhirata ko pahachanane mem aura use sahara aura Arthika sahayoga dene hetu Age Ane mem phaumdeshanom ne buddhimani dikhai| bharata jaise desha mem gramina aura shahari vargikarana mem phuta bhi thi| jyadatara raidikala aura pumjivada-virodhi amdolana gramina ilakom mem sthita the, jaham mahilaom ki jimdagi para pitrrisatta ka vyapaka raja chalata tha| shahari mahila ektivista jo ina amdolanom (jaise naksali amdolana) ka hissa banim, ve pashchimi mahilavadi amdolana se prabhavita aura prerita thim aura mukti ki disha mem unaki apani yatraem aksara usake viruddha hotim jise unake purusha neta unaka kartavya manate the: yani ‘Ama janata’ mem ghula-mila jana| bahuta si mahila ektivista apane jivana mem hone vale rojamarra ke utpidaऩ aura bhedabhava, jo unake apane kamaredom dvara bhi kie jate the, ko khatma karane ke lie ‘kramti’ taka rukane ke lie taiyara nahim thim| laimgika barabari ko ve kramtikari prakriya ka mukammala, atyavashyaka, bina kisi kisma ki saudebaji vala hissa banana chahati thim na ki kramti ke uparanta ka vayada| samajhadara ho chukim, krodhita aura mohabhamga mem mahilaem dura hatane lagim aura samarthana aura sahare ke dusare madhyama talashane lagim| parinamata: assi ka dashaka khatma hote-hote, lagabhaga usi samaya jaba bharatiya bajarom ko khola diya gaya tha, bharata jaise desha mem udaravadi mahilavadi amdolana ka bahuta jyada enajiokarana ho gaya tha| ina mem se bahuta se enajio ne samalaimgika adhikarom, gharelu himsa, edsa aura deha vyapara karane valom ke adhikarom ko lekara bahuta mahattvapurna kama kiya hai| magara yaha ullekhaniya hai ki udara narivadi amdolana nai Arthika nitiyom ke virodha mem Age nahim Aye haim, bavajuda isake ki mahilaem inase aura bhi jyada piड़ita hui haim| dhana vitarana ko hathiyara ki taraha istemala karake, phaumdeshana ‘rajanitika’ gatividhi’ kya honi chahie isako kaphi hada taka nirdharita karane mem saphala rahe haim| phaumdeshanom ke anudana sambamdhi suchanapatrom mem Ajakala bataya jata hai ki kina batom ko mahilaom ke ‘mudde’ mana jae aura kina ko nahim|
Enajio jagata mem, jisane apani anokhi dardanivaraka bhasha taiyara kara li hai, saba kucha eka vishaya bana gaya hai, eka alaga, peshevari, vishesha abhiruchi vala mudda| samudayika vikasa, netrritva vikasa, manava adhikara, svasthya, shiksha, prajananiya adhikara, edsa, edsa se samkramita anatha bachche- ina sabako apane-apane kotara mem havabamda kara diya gaya hai aura jinake apane-apane vistrrita aura spashta anudana niyama haim| phamdimga ne ekajutata ko isa taraha tukada़e-tukada़e kara diya hai jaisa damana kabhi nahim kara paya| garibi ko bhi, mahilavada ki taraha, pahachana ki samasya ke taura para gadha़A jata hai| mano gariba anyaya se taiyara nahim hue balki ve koi khoi hui prajati haim jo astitva mem haim, aura jinaka alpakalika bachava samasya nivarana tamtra (enajio dvara vyaktigata apasi adhara para samchalita) dvara kiya ja sakata hai aura dirghakalika bachava sushasana ya guda gavarnamsa se hoga| vaishvika kaॉrporeta pumjivada ke shasanakala mem yaha bola kara batane ki jarurata nahim|
Garibi ki chamaka
वामपंथी आंदोलन की असफलताएं
फोर्ड फाउंडेशन से अनुदान स्वीकार करने वाले युवा दलित स्कॉलरों के प्रति कठोर नहीं हुआ जा सकता। भारतीय जाति व्यवस्था के मलकुंड से बाहर निकलने का मौका उन्हें और कौन दे रहा है? इस घटनाक्रम का काफी हद तक दोष और शर्मिंदगी दोनों ही भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन के सर है जिसके नेता आज भी मुख्यत: ऊंची जातियों से आते हैं। इसने सालों से जाति के सिद्धांत को मार्क्सवादी वर्ग विश्लेषण में जबरदस्ती फिट करने की कोशिश की है। यह कोशिश सिद्धांत और व्यवहार दोनों में ही बुरी तरह असफल रही है। दलित समुदाय और वाम के बीच की दरार पैदा हुई दलितों के दृष्टि संपन्न नेता भीमराव अंबेडकर एवं ट्रेड यूनियन नेता और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य एस.ए.डांगे के बीच के झगड़े से। 1928 में मुंबई में कपड़ा मिल मजदूरों की हड़ताल से अंबेडकर का कम्युनिस्ट पार्टी से मोहभंग शुरू हुआ। तब उन्हें अहसास हुआ कि मेहनतकश वर्ग की एकजुटता के सारे शब्दाडंबरों के बावजूद पार्टी को इस बात से कोई आपत्ति न थी कि बुनाई विभाग से ‘अछूतों’ को बाहर रखा जाता है (और वे सिर्फ कम वेतन वाले कताई विभाग के योग्य माने जाते हैं) इसलिए कि उस काम में धागों पर थूक का इस्तेमाल करना पड़ता था और जिसे अन्य जातियां ‘अशुद्ध’ मानती थीं।
Bharatiya garibi, jaba bharata ‘shaina’ kara raha tha usa daurana kucha thoda़e vakta ke nepathya mem chale jane ke bada , phira se kala ke kshetra mem akarshaka vishaya ke taura para lauta AI hai, isaka netrritva slamadaॉga miliyaneyara jaisi philmem kara rahi haim| garibom, unaki gajaba ki jijivisha aura girakara uthane ki kshamata ki ina kahaniyom mem koi khalanayaka nahim hote – sivaya chote khalanayakom ke jo neretiva temshana aura sthanikata ka puta dete haim| ina rachanaom ke lekhaka purane jamane ke nrrishastriyom ke Aja ke samanadharma jaise haim, jo ‘jamina’ para kama karane ke lie, aj~nata ki apani sahasika yatraom ke lie sarahe jate aura sammana pate haim| Apa ko ina tarikom se amirom ki jamcha-parakha shayada hi kabhi dekhane ko mile|
Ye pata kara lene ke bada ki sarakarom, rajanitika dalom, chunavom, adalatom, midiya aura udaravadi vichara ka bamdobasta kisa taraha kiya jaye, nava-udaravadi pratishthana ke samane eka aura chunauti thi: badha़te asamtosha, ‘janata ki shakti’ ke khatare se kaise nibata jae? Use vasha mem kiya jae? Virodhakartaom ko palatuom mem kaise badalem? Janata ke krodha ko kisa taraha khimcha jae aura amdhi galiyom ki ora moda़ diya jaye?
Martina luthara kimga juniyara ne pumjivada, samrajyavada, naslavada aura viyatanama yuddha ke nishiddha sambamdha ko chihnita kiya tha| parinamasvarupa unaki hatya ke bada unaki smrriti taka suvyavastha ke lie vishabhara khatara bana gai| phaumdeshanom aura kaॉrporeshanom ne unaki virasata ko naya rupa dene ke lie kaphi mehanata ki taki vaha marketa-phremdali svarupa mem phita ho sake| phorda motara kampani, janarala motarsa, mobila, vestarna ilektrika, praॉktara emda gaimbala, yuesa stila, momsaimto aura kai dusarom ne milakara 20 lakha daॉlara ke kriyashila anudana ke satha da martina luthara kimga juniyara semtara phaॉra naॉnavailemta soshala chemja (martina luthara kimga juniyara ahimsaka samajika badalava kemdra) ki sthapana ki| yaha semtara kimga pustakalaya chalata hai aura nagari adhikara amdolana ke puralekhom ka samrakshana karata hai| yaha semtara jo bahuta sare karyakrama chalata hai unamem kucha projekta aise rahe haim jinamem unhomne ‘ameriki raksha vibhaga (yunaiteda stetsa dipartamemta ऑpha diphemsa), amrda phorsesa chaiplemsa borda (sashastra sena purohita borda) aura anyom ke satha milakara kama kiya hai’| yaha martina luthara kimga juniyara vyakhyana mala ‘da phri imtarapraija sistama : ena ejemta phaॉra naॉnavailemta soshala chemja’ (mukta udyama vyavastha: ahimsaka samajika badalava ke lie eka karaka) vishaya para sahaprayojaka tha|
Aisa hi takhtapalata dakshina aphrika ke ramga-bheda virodhi samgharsha mem karavaya gaya| 1978 mem raॉkaphelara phaumdeshana ne dakshina aphrika ke prati ameriki niti ko lekara eka adhyayana Ayoga ka gathana kiya| riporta ne aphriki neshanala kamgresa (eenasi) mem soviyata samgha ke badha़te prabhava ke bare chetaya aura kaha ki sabhi naslom ke bicha rajanitika satta ki sachchi hissedari ho, yahi ameriki ke samarika aura kaॉrporeta hitom (arthata dakshina aphrika ke khanijom taka pahumcha) ke lie shubha yahi hoga|
पूंजीवाद के असली ‘गोरकन’ शायद उसके भ्रांतिग्रस्त प्रमुख साबित हों, जिन्होंने विचारधारा को धर्म बना लिया है। उनकी कूटनीतिक प्रदीप्ति के बावजूद उन्हें एक साधारण-सी बात समझने में परेशानी हो रही है: पूंजीवाद धरती को तबाह कर रहा है। विगत संकटों से उसे उबारने वाली दो युक्तियां- जंग और खरीदारी- काम नहीं करने वाली है।
एंटिला के सामने खड़े होकर मैं देर तक सूर्यास्त होते देखती रही। कल्पना करने लगी कि वह ऊंची मीनार जितनी जमीन से ऊपर है उतनी ही नीचे भी। कि उसमें सत्ताइस-मंजिल लंबा एक सुरंग मार्ग है जो जमीन के अंदर सांप जैसा फैला है। यह भूखों की भांति धरती से संपोषण खींचे जा रही है और उसे धुऐं और सोने में बदल रही है।
अंबानियों ने अपनी इमारत का नाम एंटिला क्यों रखा? एंटिला एक काल्पनिक द्वीप-समूह का नाम है जिसकी कहानी आठवीं सदी की एक आइबेरियाई किंवदंती से जुड़ी है, जब मुसलमानों ने आइबेरियाई प्रायद्वीपया हिस्पेनिया पर जीत हासिल की, तो वहां राज कर रहे छह विथिगोथिक ईसाई पादरी और उनके पल्लीवासी जहाजों पर चढ़ कर भाग निकले। कई दिन या शायद कई हफ्ते समुद्र में गुजारने के बाद वे एंटिला द्वीप-समूह पर पहुंचे और उन्होंने वहीं बस जाने और नई सभ्यता तैयार करने का फैसला किया। बर्बर लोगों द्वारा शासित अपने देश से पूरी तरह संबंध तोड़ डालने के लिए उन्होंने अपनी नावें जला डालीं।
Shukra hai ऑkyupai amdolana ka ki aba jakara ameriki sada़kom aura vishvavidyalayina parisarom mem dusari bhasha najara़ AI hai| isa viparita paristhiti mem ‘klasa vara’ aura ‘hamem Apake amira hone se dikkata nahim, para hamari sarakara ko kharida lene se dikkata hai’ likhe hue bainara uthaye chatrom ko dekhana lagabhaga apane Apa mem imkalaba hai|
Apani shuruata ke eka sadi bada kaॉrporeta paropakara koka kola ki manimda hamare jivana ka hissa bana gaya hai| aba karoda़om gaira-labha samsthaem haim, jinamem bahuta sari jatila vittiya netavarka ke dvara bada़e phaumdeshanom se juda़I hui haim| ina sari samsthaom ko milakara isa ‘svatamtra’ sektara ki kula parisampatti 45,000 karoda़ daॉlara hai| unamem sabase bada़A hai bila getsa phaumdeshana (2,100 karoda़ daॉlara), usake bada lili endaumemta (1,600 karoda़ daॉlara) aura da phorda phaumdeshana (1,500 karoda़ daॉlara)|
Jaba amtarrashtriya mudra kosha ne samrachanatmaka samayojana ya strakcharala edjastamemtsa ke lie dabava banaya aura sarakarom se svasthya, shiksha, shishu palana aura vikasa ke lie sarakari kharcha jabaradasti kama karavaya, to enajio samane Aye| sabakucha ke nijikarana ka matalaba sabakucha ka enajiokarana bhi hai| jisa taraha naukariyam aura ajivikaem ojhala hui haim, enajio rojagara ka pramukha srota bana gae haim, una logom ke lie bhi jo unaki sachchai se vakipha haim| jaruri nahim ki sare enajio kharaba hom| lakhom enajio mem se kucha utkrrishta aura raidikala kama kara rahe haim aura sabhi enajio ko eka hi taraju se taulana hasyaspada hoga| parantu kaॉrporeta ya phaumdeshanom se anudana prapta enajio vaishvika vitta ki khatira pratirodha amdolanom ko kharidane ka tarika bana gae haim, bilkula usi taraha jaise sheyaraholdara kampaniyom ke sheyara kharidate haim aura phira unhem amdara se niyamtrita karane ki koshisha karate haim| ve kemdriya tamtrika tamtra athava semtrala narvasa sistama ke bimduom ki taraha virajamana haim, una rastom ki taraha jina para vaishvika vitta pravahita hota hai| ve tramsamitarom, risivarom, shaॉka ebjaॉrbarom ki taraha kama karate haim, hara Avega ke prati chaukasa hote haim, savadhani baratate haim ki mejabana desha ki sarakarom ko pareshani na ho| (phorda phaumdeshana jina samsthaom ko paisa deta hai unase pratij~napatra para dastakhata karavata hai jinamem ye saba batem hoti haim)| anajane mem (aura kabhi-kabhi janabujhakara), ve jasusi chaukiyom ki taraha kama karate haim, unaki rapatem aura karyashalaem aura digara mishanari gatividhiyam aura adhika sakhta hote rajyom ki aura adhika akramaka hoti nigarani vyavastha ko amkada़e pahumchate haim| jitana ashamta kshetra hoga, utane adhika enajio vaham kama karate pae jayemge|
अपनी इमारत को एंटिला कहकर, क्या अंबानी अपने देस की गरीबी और गंदगी से संबंध तोड़ डालना चाहते हैं? भारत के सबसे सफल अलगाववादी आंदोलन का क्या यह अंतिम अंक है? मध्यम और उच्च वर्ग का अगल हो कर बाहरी अंतरिक्ष में चले जाना?
जैसे-जैसे मुंबई में रात उतरने लगी, कड़क लिनन कमीजें पहने और चटर-चटर करते वाकी-टाकी लिए सुरक्षाकर्मी एंटिला के आतंकित करनेवाले फाटकों के आगे नमूदार हुए। रौशनी जगमगाने लगी, शायद भूतों को डराने के लिए। पड़ोसियों की शिकायत है कि एंटिला की तेज रौशनी ने उनकी रात चुरा ली है।
शायद वक्त हो गया कि अब हम रात को वापिस हासिल करें।
Phaumdeshanom ne eenasi ki sahayata karana shuru kara diya| jalda hi eenasi stiva biko ki blaika kaॉnshasanesa muvamemta (ashveta chetana amdolana) jaise adhika raidikala amdolanom para chadha़ baithi aura unhem kamobesha khatma kara ke choda़A| jaba nelsana mamdela dakshina aphrika ke pahale ashveta rashtrapati bane to unhem jivita samta ghoshita kara diya gaya, sirpha isalie nahim ki vaha 27 sala jela mem bita chuke svatamtrata senani the balki isalie ki unhomne vashimgatana samajhaute ko puri taraha svikara kara liya tha| eenasi ke ejemde se samajavada puri taraha gayaba ho gaya| dakshina aphrika ke bahuprashamsita mahana ‘shamtipurna parivartana’ ka matalaba tha koi bhumi sudhara nahim, koi kshatipurti nahim, dakshina aphrika ki khanom ka rashtriyakarana bhi nahim| isaki jagaha hua nijikarana aura samrachanatmaka samayojana| mamdela ne dakshina aphrika ke sarvochcha nagari alamkarana -da ऑrdara ऑpha guda hopa – se imdoneshiya mem kamyunistom ke hatyare,apane purane samarthaka aura mitra janarala suharto ko sammanita kiya| Aja dakshina aphrika mem marsidija mem ghumane vale purva raidikalom aura treda yuniyana netaom ka guta desha para raja karata hai| aura yaha blaika libareshana (ashveta mukti) ke bharama ko hamesha banaye rakhane ke lie kaphi hai|
Dalita pumjivada ki ora
Amerika mem ashveta shakti ka udaya bharata mem raidikala, pragatishila dalita amdolana ke lie prerana ka srota tha aura dalita paimthara jaise samgathana blaika paimthara jaise samgathanom ki pratibimbana the| lekina dalita shakti bhi thika usi taraha nahim para lagabhaga unhim taura-tarikom se dakshinapamthi himdu samgathanom aura phorda phaumdeshana ki khuli madada se vibhajita aura kamajora kara di gai hai| yaha aba dalita pumjivada ke rupa mem badalane ki ora badha़ rahi hai|
Vamapamthi amdolana ki asaphalataem
Phorda phaumdeshana se anudana svikara karane vale yuva dalita skaॉlarom ke prati kathora nahim hua ja sakata| bharatiya jati vyavastha ke malakumda se bahara nikalane ka mauka unhem aura kauna de raha hai? Isa ghatanakrama ka kaphi hada taka dosha aura sharmimdagi donom hi bharata ke kamyunista amdolana ke sara hai jisake neta Aja bhi mukhyata: umchi jatiyom se Ate haim| isane salom se jati ke siddhamta ko marksavadi varga vishleshana mem jabaradasti phita karane ki koshisha ki hai| yaha koshisha siddhamta aura vyavahara donom mem hi buri taraha asaphala rahi hai| dalita samudaya aura vama ke bicha ki darara paida hui dalitom ke drrishti sampanna neta bhimarava ambedakara evam treda yuniyana neta aura bharatiya kamyunista parti ke samsthapaka sadasya esa.e.damge ke bicha ke jhagada़e se| 1928 mem mumbai mem kapada़A mila majadurom ki hada़tala se ambedakara ka kamyunista parti se mohabhamga shuru hua| taba unhem ahasasa hua ki mehanatakasha varga ki ekajutata ke sare shabdadambarom ke bavajuda parti ko isa bata se koi Apatti na thi ki bunai vibhaga se ‘achutom’ ko bahara rakha jata hai (aura ve sirpha kama vetana vale katai vibhaga ke yogya mane jate haim) isalie ki usa kama mem dhagom para thuka ka istemala karana pada़ta tha aura jise anya jatiyam ‘ashuddha’ manati thim|
O.Ara.epha. Ke uddeshya bada़e sapha-sapha pratita hote haim: ‘Arthika sudharom ke paksha mem Ama sahamati taiyara karane hetu sahayata karana| ‘ aura ‘pichada़e jilom mem rojagara nirmiti aura anavika, jaivika aura rasayanika khatarom ka samana karane ke lie samayochita karyanitiyam banane jaise vividha kshetrom mem vyavaharya aura paryayi nitigata vikalpa taiyara karake’ Ama raya ko akara dena aura use prabhavita karana|
O.Ara.epha. Ke ghoshita uddeshyom mem ‘anavika, jaivika aura rasayanika yuddha’ ko lekara atyadhika chimta dekhakara maim shuru mem chakkara mem pada़ gai| magara usake ‘samsthagata sahayogiyom’ ki lambi suchi mem rethiyona aura laॉkahida martina jaise nama dekha kara hairani kama hui| ye donom kampaniyam duniya ki pramukha hathiyara nirmata haim| 2007 mem rethiyona ne ghoshana ki ki ve aba bharata para apana dhyana kemdrita karemge| kya yaha isalie hai ki bharata ke 3,200 karoda़ daॉlara ke raksha bajata ka kucha hissa rethiyona aura laॉkahida martina dvara taiyara hathiyarom, gaideda misailom, vimanom, nausena ke jahajom aura nigarani upakaranom para kharcha hoga?
Hathiyara kyom chahie?
Pumjivada samkata mem hai| Trikala-dauna asaphala ho gaya hai| aba gasha-apa bhi samkata mem hai| amtarrashtriya vittiya apada badha़ti ja rahi hai| bharata ki vikasa dara kama hokara 6.9 pratishata ho gai hai| videshi nivesha dura ja raha hai| pramukha amtarrashtriya kaॉrporeshana paisom ke vishala Dhera para baithe haim, samajha nahim A raha hai kaham paisa nivesha karem, yaha bhi samajha nahim A raha ki vittiya samkata kaise khatma hoga| vaishvika pumji ke bhimakaya ratha mem yaha eka pramukha samrachanatmaka darara hai|
Pumjivada ke asali ‘gorakana’ shayada usake bhramtigrasta pramukha sabita hom, jinhomne vicharadhara ko dharma bana liya hai| unaki kutanitika pradipti ke bavajuda unhem eka sadharana-si bata samajhane mem pareshani ho rahi hai: pumjivada dharati ko tabaha kara raha hai| vigata samkatom se use ubarane vali do yuktiyam- jamga aura kharidari- kama nahim karane vali hai|
फोर्ड फाउंडेशन के घोषित ‘मानवजाति के भविष्य के लक्ष्यों ‘ में स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय जमीनी राजनीतिक आंदोलनों में हस्तक्षेप करना है। अमेरिका में इसने क्रेडिट यूनियन मूवमेंट को सहायता देने के लिए अनुदान और ऋण के तौर पर करोड़ों लाख डॉलर मुहैया करवाए। 1919 में शुरू हुए क्रेडिट यूनियन मूवमेंट के प्रणेता एक डिपार्टमेंट स्टोर के मालिक एडवर्ड फाइलीन थे। मजदूरों को वहन किए जाने योग्य ऋण उपलब्ध कराकर उपभोक्ता वस्तुओं के लिए एक विशाल उपभोक्ता समाज (मास कंजम्प्शन सोसाइटी) बनाने में फाइलीन का विश्वास था- जो उस समय एक क्रांतिकारी विचार था। दरअसल यह विचार केवल आधा ही क्रांतिकारी था, क्योंकि फाइलीन का जो विश्वास था उसका दूसरा आधा हिस्सा था राष्ट्रीय आय का अधिक समतापूर्ण वितरण। फाइलीन के सुझाव का पहला आधा हिस्सा पूंजीपतियों ने हथिया लिया और मेहनतकश लोगों को लाखों डॉलर के ‘एफोर्डेबल’ ऋण वितरित कर अमेरिका के मेहनतकश वर्ग को हमेशा के लिए कर्जे में रहने वाले लोगों में बदल दिया जो अपनी जीवन शैली को अद्यतन करते रहने के लिए हमेशा भागदौड़ में लगे रहते हैं।
Emtila ke samane khada़e hokara maim dera taka suryasta hote dekhati rahi| kalpana karane lagi ki vaha umchi minara jitani jamina se Upara hai utani hi niche bhi| ki usamem sattaisa-mamjila lamba eka suramga marga hai jo jamina ke amdara sampa jaisa phaila hai| yaha bhukhom ki bhamti dharati se samposhana khimche ja rahi hai aura use dhuaim aura sone mem badala rahi hai|
इस बीच सलवा जुडूम छत्तीसगढ़ में वनों में बसे सैकड़ों गांवों से आग लगाता, बलात्कार और हत्याएं करता बढ़ता रहा। इसने 600 गांवों को खाली करवाया, 50,000 लोगों को पुलिस कैंपों में आने और 350,000 लोगों को भाग जाने के लिए विवश किया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि जो जंगलों से बाहर नहीं आएंगे उन्हें ‘माओवादी उग्रवादी’ माना जायेगा। इस तरह, आधुनिक भारत के हिस्सों में, खेत जोतने और बीज बोने जैसी कामों को आतंकवादी गतिविधियों के तौर पर परिभाषित किया गया। कुल मिला कर सलवा जुडूम के अत्याचारों ने माओवादी छापामार सेना के संख्याबल में बढ़ोत्तरी और प्रतिरोध में मजबूती लाने में मदद की। सरकार ने 2009 में वह शुरू किया जिसे ऑपरेशन ग्रीन हंट कहा जाता है। छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अर्धसैनिक बलों के दो लाख जवान तैनात किए गए।
तीन वर्ष तक चले ‘कम तीव्रता संघर्ष’ के बाद जो बागियों को जंगलों से बाहर ‘फ्लश’ (एक झटके में बाहर निकालने) करने में कामयाब नहीं हो पाया, केंद्र सरकार ने घोषणा की कि वह भारतीय सेना और वायु सेना तैनात करेगी। भारत में हम इसे जंग नहीं कहते। हम इसे ‘निवेश के लिए अच्छी स्थितियां तैयार करना’ कहते हैं। हजारों सैनिक पहले ही आ चुके हैं। ब्रिगेड मुख्यालय और सैन्य हवाई अड्डे तैयार किए जा रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक सेना अब दुनिया के सबसे गरीब, सबसे भूखे, और सबसे कुपोषित लोगों से अपनी ‘रक्षा’ करने के लिए लड़ाई की शर्तें (टर्म्स ऑफ एंगेजमेंट) तैयार कर रही है। अब महज आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) के लागू होने का इंतजार है, जो सेना को कानूनी छूट और ‘शक की बिन्हा ‘ पर जान से मार देने का अधिकार दे देगा। कश्मीर, मणिपुर और नागालैंड में दसियों हजार बेनिशां कब्रों और बेनाम चिताओं पर अगर गौर किया जाए तो सचमुच ही सेना ने स्वयं को बेहद संदेहास्पद बना दिया है।
Ambaniyom ne apani imarata ka nama emtila kyom rakha? Emtila eka kalpanika dvipa-samuha ka nama hai jisaki kahani athavim sadi ki eka aiberiyai kimvadamti se juda़I hai, jaba musalamanom ne aiberiyai prayadvipaya hispeniya para jita hasila ki, to vaham raja kara rahe Chaha vithigothika isai padari aura unake pallivasi jahajom para chadha़ kara bhaga nikale| kai dina ya shayada kai haphte samudra mem gujarane ke bada ve emtila dvipa-samuha para pahumche aura unhomne vahim basa jane aura nai sabhyata taiyara karane ka phaisala kiya| barbara logom dvara shasita apane desha se puri taraha sambamdha toda़ dalane ke lie unhomne apani navem jala dalim|
Apani imarata ko emtila kahakara, kya ambani apane desa ki garibi aura gamdagi se sambamdha toda़ dalana chahate haim? Bharata ke sabase saphala alagavavadi amdolana ka kya yaha amtima amka hai? Madhyama aura uchcha varga ka agala ho kara bahari amtariksha mem chale jana?
Jaise-jaise mumbai mem rata utarane lagi, kada़ka linana kamijem pahane aura chatara-chatara karate vaki-taki lie surakshakarmi emtila ke atamkita karanevale phatakom ke Age namudara hue| raushani jagamagane lagi, shayada bhutom ko darane ke lie| pada़osiyom ki shikayata hai ki emtila ki teja raushani ne unaki rata chura li hai|
Shayada vakta ho gaya ki aba hama rata ko vapisa hasila karem|
nice and mind awakening thaughts..worth reading and knowledgefull.